
आरबीआई, कॉन्सेप्ट फोटो
नवभारत टेक डेस्क : टेक्नोलॉजी में हो रहे इनोवेशन ने हमारे जीवन को बेहद आसान बना दिया है। टेक्नोलॉजी में हर रोज बदलाव होने के कारण आज हम ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर घर पर खाना मंगाने तक का काम चुटकियों में कर पा रहे हैं।
यहां तक की एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में पैसे भेजने की बात होती है तब भी सिर्फ एक क्लिक से खटाक से पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि नई तकनीक ने हमारे लाइफ को जितनी ही आसान बनाया है, उतना ही हमारे लिए मुश्किलें खड़ा कर दी है।
हर रोज कई लोग साइबर ठगी के शिकार हो जाते हैं और इनके खाते से लाखों करोड़ों की राशि एक क्षण में गायब हो जाती है। इससे बचने के लिए सरकार नई तरकीब निकालती ही तब तक साइबर ठग बैंक से एआई के जरिए पैसे सफाचट करने का कोई नया फॉर्मूला निकाल लेते हैं। इसी बीच हाल ही में सरकार ने लोगों को जगरूक करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों के साथ मिलकर भारत के नागरिकों के लिए एक जगरूकता कॉलर ट्यून जारी की है। ताकि लोगों को डिजिटल एरेस्ट के बारे में जानकारी मिल सके और ये धोखाधड़ी के शिकार न हो पाएं।
इसी बीच अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI ने एक 8 सदस्यीय लोगों की कमेटी तैयार की है, ताकि एआई को लेकर एक फ्रेमवर्क ड्राफ्ट किया जा सके। आरबीआई ने यह कदम इसलिए उठाया है कि हर रोज साइबर ठग हराजों लोगों को निशाने पर लेकर उनके बैंक अकाउंट को सफाटक कर दे रहे हैं। मौजूदा समय में एआई का बहुत ज्यदा गलत उपयोग हो रहा है।
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इसके जरिए किसी की भी वॉयस क्लोनिंग से लेकर वीडियो क्लोनिंग कर ली जा रही है। इसका गलत इस्तेमाल करके साइबर ठग लोगों को ब्लैकमेल कर लाखों करोड़ों रुपये ठग ले रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने AI फ्रेमवर्क का मसौदा तैयार करने के लिए आठ सदस्यीय समिति गठित की है। इसके जरिए बैंकिंग सेक्टर में एआई का पॉजेटिव इस्तेमाल हो सकेगा और साइबर ठगों पर लगाम भी लगेगा।






