भारत में क्या होगा AI का भविष्य। (सौ. Freepik)
AI Free Subscription in India: भारत में पिछले कुछ महीनों के दौरान कई प्रमुख AI कंपनियों ने अपने प्रीमियम टूल्स और सब्सक्रिप्शन को अचानक मुफ्त में उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। जहां अमेरिका और यूरोप में इन्हीं सेवाओं के लिए भारी शुल्क वसूला जाता है, वहीं भारत में इन्हें फ्री में पेश किया जाना लोगों को चकित कर रहा है। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे लंबी सोच और एक गहरी रणनीति छिपी है, जो कंपनियों के भविष्य के बड़े प्लान का हिस्सा है।
आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल यूज़र बेस बन चुका है। करोड़ों लोग हर दिन स्मार्टफोन, सोशल मीडिया और इंटरनेट का उपयोग करते हैं। यह विशाल वॉल्यूम मार्केट AI कंपनियों के लिए सोने की खान है। जितने अधिक लोग उनके प्लेटफॉर्म से जुड़ते हैं, उतनी ही तेजी से उनका डेटा, ब्रांड वैल्यू और ट्रेनिंग मॉडल मजबूत होते जाते हैं। फ्री सब्सक्रिप्शन देकर कंपनियों का लक्ष्य है कि यूज़र्स को अपने इकोसिस्टम में शुरुआती स्तर पर ही जोड़ लिया जाए, जिससे भविष्य में पेड फीचर्स बेचना आसान हो जाए।
AI मॉडल को लगातार बेहतर बनाने के लिए भारी मात्रा में यूज़र इंटरैक्शन की आवश्यकता होती है। भारत जैसा देश कंपनियों को मिलियन-लेवल का यूज़र बेस देता है, जिससे उन्हें रीयल-टाइम डेटा मिलता है। फ्री एक्सेस मिलने पर यूज़र्स इन टूल्स के साथ ज्यादा समय बिताते हैं और कंपनियों को भाषा, व्यवहार, ट्रेंड्स और जरूरतों से जुड़ा अनमोल डेटा प्राप्त होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह डेटा अरबों की कीमत का होता है, और यही कंपनियों के लिए सबसे बड़ा संसाधन भी है।
AI कंपनियां अब ऐसे मॉडल तैयार करने में लगी हैं जो केवल अंग्रेजी ही नहीं, बल्कि हिंदी, तमिल, बंगाली, मराठी सहित भारतीय भाषाओं को भी सटीक रूप से समझ सकें। भारत की बहुभाषी विविधता इस दिशा में सबसे बड़ा योगदान देती है। मुफ्त सब्सक्रिप्शन के जरिए कंपनियों को विभिन्न भाषाओं में विशाल यूज़र डेटा मिलता है, जिससे उनके मल्टी-लिंगुअल मॉडल और अधिक शक्तिशाली और व्यवहारिक बनते हैं।
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आज भले ही कंपनियां अपनी सेवाएं मुफ्त में उपलब्ध करा रही हों, लेकिन असली कमाई आगे होने वाली है। यह वही रणनीति है जो ई-कॉमर्स सेक्टर ने अपनाई थी पहले भारी डिस्काउंट देकर बाजार पर पकड़ बनाई और बाद में प्रॉफिट कमाया। AI सेक्टर भी इसी राह पर चल रहा है। जैसे-जैसे लोग इन AI टूल्स पर निर्भर होते जाएंगे, कंपनियां प्रीमियम फीचर्स, सब्सक्रिप्शन मॉडल और माइक्रो पेमेंट के जरिए कमाई शुरू करेंगी।