deepfake को लेकर सरकार ने बनाए नए नियम। (सौ. Freepik)
Deepfake AI Abuse: Artificial Intelligence के इस दौर में डीपफेक तकनीक एक बड़ा खतरा बनकर उभरी है। यह न सिर्फ़ व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुँचा रही है, बल्कि लोकतंत्र की जड़ें भी हिला रही है। इसी खतरे को देखते हुए डेनमार्क सरकार ने डीपफेक के खिलाफ दुनिया का सबसे कड़ा कानून लाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस प्रस्तावित कानून के तहत, किसी की आवाज़ या तस्वीर का उसकी अनुमति के बिना कृत्रिम इस्तेमाल दंडनीय अपराध माना जाएगा। साथ ही, डीपफेक वीडियो और ऑडियो फैलाने वालों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
Deepfake एक उन्नत तकनीक है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपयोग करके वास्तविक वीडियो और ऑडियो को इस तरह संपादित करती है कि नकली सामग्री बिल्कुल असली जैसी दिखती है। “Deepfake” शब्द “Deep Learning” और “Fake” का मिश्रण है। यह तकनीक असली और नकली के बीच की सीमाओं को धुंधला कर देती है।
Deepfake दो मुख्य एल्गोरिदम पर काम करता है –
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जैसे-जैसे एआई और मशीन लर्निंग तकनीक आगे बढ़ रही है, डीपफेक तकनीक ज़्यादा यथार्थवादी होती जा रही है। इसके कुछ सकारात्मक पहलू हो सकते हैं, लेकिन इसका दुरुपयोग बहुत बड़ा नुकसान भी पहुँचा सकता है। अमेरिका, भारत और यूरोपीय देशों में भी अब इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ा जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय संगठन इस पर एक वैश्विक कानून बनाने की माँग कर रहे हैं ताकि हर देश अपने स्तर पर प्रभावी नियंत्रण कर सके।