Screen Sharing and Data transfer (So. Pixabay)
Screen Sharing Apps And AnyDesk Scam: भारत में स्मार्टफोन अब केवल कॉल या मैसेज तक सीमित नहीं रह गया है। बैंकिंग ट्रांजैक्शन, ऑनलाइन शॉपिंग, ऑफिस का काम, टिकट बुकिंग से लेकर रोजमर्रा की बातचीत तक, हर जरूरत मोबाइल फोन पर ही निर्भर हो चुकी है। लेकिन सुविधा के साथ खतरे भी बढ़े हैं। स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ऑनलाइन फ्रॉड, स्पैम कॉल और साइबर अपराध के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। आम नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार समय-समय पर अलर्ट जारी करती रहती है। इसी कड़ी में Indian Cybercrime Coordination Centre (I4C) ने कुछ मोबाइल ऐप्स को लेकर एक नया और गंभीर अलर्ट जारी किया है।
I4C के मुताबिक, स्क्रीन-शेयरिंग और रिमोट एक्सेस ऐप्स आम यूजर्स के लिए बड़ा जोखिम बनते जा रहे हैं। साइबर अपराधी इन ऐप्स का इस्तेमाल लोगों को ठगने के लिए कर रहे हैं। जैसे ही कोई यूजर स्क्रीन-शेयरिंग की अनुमति देता है, ठग को फोन का रियल-टाइम एक्सेस मिल जाता है। इसका मतलब यह है कि स्कैमर आपके फोन पर चल रही हर गतिविधि को देख भी सकता है और कंट्रोल भी कर सकता है।
I4C की चेतावनी के अनुसार, स्क्रीन-शेयरिंग ऐप्स के जरिए फोन का कंट्रोल मिलते ही साइबर ठग यूजर के मैसेज, बैंकिंग ऐप्स, OTP, पासवर्ड और निजी जानकारी तक पहुंच बना लेते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि लोगों की पूरी जमा-पूंजी कुछ ही मिनटों में उड़ जाती है और उन्हें तब तक भनक भी नहीं लगती, जब तक बैंक अकाउंट खाली नहीं हो जाता।
सरकार ने कुछ लोकप्रिय स्क्रीन-शेयरिंग ऐप्स को लेकर विशेष चेतावनी दी है। इनमें AnyDesk, TeamViewer और QuickSupport जैसे ऐप्स शामिल हैं। ये ऐप्स मूल रूप से टेक्निकल सपोर्ट के लिए बनाए गए हैं, लेकिन साइबर ठग इन्हीं का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर ये ऐप्स आपके फोन में बिना किसी ठोस वजह के इंस्टॉल हैं, तो इन्हें तुरंत हटाना सुरक्षित माना जा रहा है।
साइबर अपराधी अक्सर खुद को बैंक अधिकारी, कस्टमर केयर एजेंट या किसी सरकारी विभाग का प्रतिनिधि बताकर कॉल करते हैं। वे किसी तकनीकी समस्या या अकाउंट ब्लॉक होने का डर दिखाते हैं और यूजर से स्क्रीन-शेयरिंग ऐप डाउनलोड करवाते हैं। ऐप इंस्टॉल होते ही ठग बैंक ट्रांजैक्शन देख सकता है, OTP और पासवर्ड चुरा सकता है और बिना जानकारी के पैसे ट्रांसफर कर सकता है।
सरकार और साइबर विशेषज्ञों की सलाह है कि अगर स्क्रीन-शेयरिंग ऐप्स की बेहद जरूरत न हो, तो उन्हें फोन से हटा दें। किसी अनजान व्यक्ति के कहने पर कोई भी ऐप इंस्टॉल न करें और ऐप को दी जा रही परमिशन जरूर जांचें। OTP, बैंक डिटेल्स और निजी जानकारी किसी के साथ साझा न करें, चाहे सामने वाला कितना भी भरोसेमंद क्यों न लगे।
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अगर कोई व्यक्ति साइबर फ्रॉड का शिकार हो जाता है, तो उसे तुरंत www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करनी चाहिए। इसके अलावा राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके भी सहायता ली जा सकती है। सरकार का उद्देश्य इन अलर्ट्स के जरिए नागरिकों को बढ़ते साइबर खतरों से सुरक्षित रखना है।