Google chrome से हो सकती है खतरा। (सौ. Freepik)
Google Chrome Gemini AI: Google ने हाल ही में अपने ब्राउज़र क्रोम में Gemini को इंटीग्रेट करने का ऐलान किया है। कंपनी इसे अब तक का सबसे बड़ा अपग्रेड बता रही है, लेकिन साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार यह अपडेट यूज़र्स की प्राइवेसी के लिए सबसे खतरनाक साबित हो सकता है।
Surfshark की ताज़ा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब क्रोम और Gemini मिलकर यूज़र्स से 24 तरह का संवेदनशील डेटा इकट्ठा करते हैं। इसमें नाम, लोकेशन, डिवाइस आईडी, ब्राउज़िंग व सर्च हिस्ट्री, प्रोडक्ट इंटरैक्शन और शॉपिंग पैटर्न जैसी निजी जानकारियां शामिल हैं। यह डेटा किसी भी अन्य एआई ब्राउज़र की तुलना में कहीं अधिक है।
जहां Microsoft Edge और Copilot केवल आधा डेटा ट्रैक करते हैं, वहीं Opera, Brave और Perplexity जैसे ब्राउज़र बेहद सीमित जानकारी इकट्ठा करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यूज़र्स को समझना चाहिए कि क्रोम में Gemini के जुड़ने के बाद उनकी प्राइवेसी लगभग खत्म हो जाती है।
केवल क्रोम ही नहीं, बल्कि Edge और Firefox जैसे ब्राउज़र भी AI एक्सटेंशन (जैसे ChatGPT) सपोर्ट करते हैं। लेकिन समस्या यह है कि कई बार आधिकारिक स्टोर से डाउनलोड किए गए एक्सटेंशन भी डेटा चोरी में पकड़े गए हैं। यानी इन टूल्स को इंस्टॉल करने से आपकी निजी जानकारी थर्ड-पार्टी कंपनियों तक पहुंच सकती है।
Google का कहना है, “Gemini in Chrome केवल तभी एक्टिव होता है जब आप इसे खुद इस्तेमाल करें।” हालांकि, रिपोर्ट्स बताती हैं कि एक बार एक्टिवेट होते ही आपकी जानकारी सीधे कंपनी के सर्वर तक पहुंचने लगती है। साथ ही, Google जल्द ही अपने पॉपुलर इमेज एडिटिंग टूल Nano Banana को Google Photos में लाने की तैयारी कर रहा है। इसमें अपलोड की गई हर फोटो से बायोमेट्रिक डिटेल, GPS लोकेशन और डिवाइस जानकारी जैसी संवेदनशील डिटेल्स निकाली जा सकती हैं।
इस बीच, Apple ने iOS 26 में Safari ब्राउज़र पर एंटी-फिंगरप्रिंटिंग टेक्नोलॉजी लागू कर दी है। कंपनी ने साफ कहा है कि iPhone पर Chrome इस्तेमाल करने वाले यूज़र्स को यह सुरक्षा नहीं मिलेगी। यही वजह है कि Apple ने अपने ग्राहकों को Safari चुनने और Chrome से बचने की सलाह दी है।
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अगर आप क्रोम में Gemini का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कुछ कदम उठाकर आंशिक सुरक्षा पा सकते हैं:
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि Gemini और Nano Banana जैसे “फ्री टूल्स” असल में मुफ्त नहीं हैं। इनका बिजनेस मॉडल आपकी व्यक्तिगत जानकारी पर आधारित है। यानी जितना अधिक आप इनका इस्तेमाल करेंगे, उतना ही आपका डेटा कंपनियों और थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म्स तक पहुंचेगा।