अरुणा राय, पूजा शर्मा, विनेश फोगाट (फोटो- सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्कः बीबीसी( British Broadcasting Corporation) दुनिया की 100 प्रेरक और प्रतिभाशाली महिलाओं की सूची तैयार करता है। जिसे 100।Women कहा जाता है। ये सभी 100 महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र में प्रेरणस्रोत कार्य करती हैं। इस लिस्ट में उनको रखा जाता है, जो अपने काम की वजह से साल पर खबरों में रहीं हो, जिन्होंने कुछ महत्वपूर्ण मुकाम हांसिल किया हो। इसमें यह जरूरी नहीं की उनपर खबर लिखी गई हो। उन्हें शामिल किया जाता है।
इस बार भी बीबीसी ने 100 महिलाओं की सूची जारी की है। इस लिस्ट तीन भारतीय महिलाओं का भी नाम है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में प्रेरणस्रोत काम किए हैं। जिसमें 2 नाम ऐसे हैं जिन्हें कम ही लोग जानते हैं।
कौन हैं पूजा शर्मा दुनिया की 100 महिलाओं में किया गया शामिल
वहीं इस लिस्ट में पहला भारतीय नाम पूजा शर्मा का है। दिल्ली की रहने वाली पूजा शर्मा लवारिश शवों का अंतिम संस्कार करती हैं। पूजा शर्मा 4 हजार से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। 28 वर्षीय पूजा शर्मा का जन्म 7 जुलाई 1996 को दिल्ली में हुआ। 12 मार्च 2022 को पूजा शर्मा के सामने ही उनके भाई की हत्या कर दी गई। भाई के अंतिम संस्कार में किसी ने मदद नहीं की। इसके बाद पूजा ने अपने हाथों से भाई का अंतिम संस्कार किया। इस झकझोर देने वाले हत्याकांड के बाद पूजा ने लावारिस शवों के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया।
रेसलर विनेश फोगाट का नाम भी लिस्ट में शामिल
इस लिस्ट में दूसरा भारतीय नान कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट का है। तीन बार की ओलंपियन विनेश फोगट भारत की सबसे सम्मानित पहलवानों में से एक हैं और खेलों में महिलाओं के प्रति लैंगिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाती रहीं हैं। फोगाट ने विश्व चैंपियनशिप, राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में पदक जीते हैं।
इस साल फोगट ओलंपिक फ़ाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बनीं, लेकिन वजन मापने में विफल होने के बाद उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने संन्यास ले लिया और अपने सियासी सफर का आगाज किया। फिलहाल वह कांग्रेस की विधायक हैं। फोगाट ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ महीनों तक चले विरोध प्रदर्शन का चेहरा थीं। बृज भूषण सिंह पर महिला एथलीटों के यौन उत्पीड़न का आरोप है।
कौन हैं अरुणा राय
वहीं तीसरी महिला अरुणा राय हैं। राय एक राजनैतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होने सन् १९६८ से १९७५ तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्य किया। उनके योगदान के लिये उन्हें मैगससे पुरस्कार एवं मेवाड़ सेवाश्री आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। वे राजस्थान के निर्धन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिये किये गये प्रयास के लिये विशेष रूप से जानी जातीं हैं। भारत में सूचना का अधिकार लागू करने के लिये 6 अप्रैल 1995 को अजमेर के ब्यावर में आंदोलन की शुरुआत की, उनके प्रयत्न एवं योगदान उल्लेखनीय हैं। वे मेवाड़ के राजसमन्द जिले में स्थित देवडूंगरी गांव से सम्पूर्ण देश में संचालित मजदूर किसान शक्ति संगठन की संस्थापिका एवं अध्यक्ष भी हैं।