
सचिन तेंदुलकर (फोटो- सोशल मीडिया)
Sachin Tendulkar: क्रिकेट जगत में मास्टर ब्लास्टर के नाम से मशहूर सचिन तेंदुलकर ने अपने 24 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में अनगिनत रिकॉर्ड बनाए और लाखों फैन्स का दिल जीता। संन्यास के बाद भी उनके किस्से और अनुभव क्रिकेट प्रेमियों को प्रेरित करते रहते हैं। हाल ही में सचिन ने अपने करियर से जुड़ा एक ऐसा पुराना वाकया साझा किया, जिसने उनके चयन की कहानी को और भी खास बना दिया।
यह घटना ईरानी कप की है, जब युवा सचिन तेंदुलकर रेस्ट ऑफ इंडिया की ओर से खेल रहे थे। उस मुकाबले में सचिन 85 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे, लेकिन टीम के 9 विकेट गिर चुके थे। इसी मुश्किल घड़ी में गुरशरण सिंह टूटे हाथ के बावजूद बल्लेबाजी करने उतरे। उनका मैदान पर आना तय नहीं था, लेकिन उन्होंने टीम के हित को प्राथमिकता दी।
सचिन के अनुसार, गुरशरण सिंह ने अपने जज्बे और त्याग से उनकी जिंदगी का रुख बदल दिया। 9 दिसंबर को आयोजित एजियास फेडरल लाइफ इंश्योरेंस इवेंट में सचिन ने इस पल को याद करते हुए बताया कि वही मुकाबला भारतीय टीम के लिए उनका ट्रायल मैच था। गुरशरण ने चोट के बावजूद बैटिंग कर सचिन को अपना शतक पूरा करने का मौका दिया, जिसके बाद उनका चयन भारतीय टीम में हो गया।
सचिन ने कहा कि गुरशरण का मैदान पर उतरना उनके लिए बेहद भावुक पल था। टूटे हाथ के साथ बल्लेबाजी करना आसान नहीं होता, लेकिन गुरशरण के इरादे और जज्बे ने उन्हें गहरे तक प्रभावित किया। सचिन के मुताबिक, यही वह पल था जिसने उन्हें गुरशरण का हमेशा आभारी बना दिया।
VIDEO | Mumbai: Speaking during an event, legendary cricketer Sachin Tendulkar (@sachin_rt), says, “As they say, promises are meant to be kept. I feel I’ll go a step further and say that promises are meant to be kept, but also meant to be delivered… and that is what is our DNA.… pic.twitter.com/jWXypU6gP0 — Press Trust of India (@PTI_News) December 9, 2025
सचिन तेंदुलकर ने बताया कि उन्होंने न्यूजीलैंड दौरे (1990) के दौरान गुरशरण सिंह से एक वादा किया था। उस दौर में रिटायर्ड खिलाड़ियों के लिए बेनिफिट मैच आयोजित किए जाते थे। सचिन ने गुरशरण से कहा था कि जब भी उन्हें बेनिफिट मैच मिलेगा, वह जरूर खेलने आएंगे।
करीब 15 साल बाद जब गुरशरण सिंह ने अपना बेनिफिट मैच आयोजित किया, तो सचिन ने अपना वादा निभाया। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि इतने साल बाद भी उस पल को निभाना उनके लिए गर्व की बात थी। सचिन के मुताबिक, यह सिर्फ एक मैच नहीं बल्कि उस इंसान के प्रति सम्मान था, जिसने उनके करियर की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई।
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सचिन तेंदुलकर का यह किस्सा बताता है कि क्रिकेट सिर्फ रिकॉर्ड्स का खेल नहीं, बल्कि इंसानियत, भरोसे और वादों को निभाने की कहानी भी है। गुरशरण सिंह और सचिन की यह कहानी आज भी खिलाड़ियों और फैन्स के लिए प्रेरणा बनी हुई है।






