देवांग गांधी (फोटो-सोशल मीडिया)
Devang Gandhi Birthday: भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई ऐसे नाम रहे हैं जिन्होंने अपने खेल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया, लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हुए जिनका करियर भले ही लंबा न रहा हो, पर उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। देवांग गांधी एक ऐसे ही सच्चे क्रिकेट योद्धा थे, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट में अपना नाम मेहनत से दर्ज कराया।
6 सितंबर 1971 को गुजरात के भावनगर में जन्मे देवांग गांधी का क्रिकेट सफर बंगाल से शुरू हुआ। आज 6 सितंबर 2025 को देवांग अपना 54वां जन्मदिन मना रहे हैं। साल 1994/95 में उन्होंने घरेलू क्रिकेट में कदम रखा और जल्द ही खुद को एक भरोसेमंद सलामी बल्लेबाज के रूप में स्थापित कर लिया। बंगाल के लिए उन्होंने कई यादगार पारियां खेलीं और घरेलू क्रिकेट के मजबूत स्तंभ बन गए।
घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन का इनाम उन्हें अक्टूबर 1999 में मिला, जब उन्हें न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारत के लिए खेलने का मौका मिला। मोहाली में खेले गए डेब्यू टेस्ट में देवांग को सदागोप्पन रमेश के साथ पारी की शुरुआत करने का मौका मिला। हालांकि वह पहली पारी में बिना खाता खोले आउट हो गए, लेकिन दूसरी पारी में उन्होंने अपने जज़्बे और धैर्य से आलोचकों को जवाब दिया।
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242 गेंदों में 75 रनों की उनकी संयमित पारी ने भारत की दूसरी पारी को मजबूती दी। उन्होंने रमेश के साथ पहले विकेट के लिए 137 रनों की साझेदारी कर भारत को सम्मानजनक स्थिति में पहुंचाया। मैच ड्रॉ रहा, लेकिन देवांग ने दिखा दिया कि वह लंबी पारी खेलने की काबिलियत रखते हैं।
कोलकाता में खेले गए दूसरे टेस्ट में देवांग एक बार फिर चमके। इस बार उन्होंने 88 रनों की शानदार पारी खेली और रमेश के साथ मिलकर 162 रनों की ओपनिंग साझेदारी की। इस योगदान के दम पर भारत ने यह मैच 8 विकेट से जीता। तीन टेस्ट मैचों की इस सीरीज में देवांग गांधी ने सात पारियों में कुल 200 रन बनाए और अपनी तकनीक व धैर्य से सबका ध्यान खींचा।
1999-2000 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए उन्हें भारतीय टीम में शामिल किया गया। यह दौरा भारतीय बल्लेबाजों के लिए कड़ा इम्तिहान था। तेज और उछालभरी पिचों पर देवांग गांधी खुद को स्थापित नहीं कर सके। एडिलेड टेस्ट में वे पहली पारी में सिर्फ 4 रन बना सके और दूसरी पारी में खाता भी नहीं खोल पाए। इसके अलावा उन्होंने दो वनडे भी खेले, जिसमें केवल 19 रन ही बना सके। इस प्रदर्शन के बाद देवांग को टीम से बाहर कर दिया गया। दुर्भाग्यवश, उन्हें फिर कभी भारतीय टीम की जर्सी पहनने का मौका नहीं मिला।
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देवांग गांधी ने भारत के लिए कुल 4 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 34 की औसत से 204 रन बनाए। वनडे में उन्होंने तीन मैचों में कुल 49 रन बनाए। हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका सफर संक्षिप्त रहा, लेकिन घरेलू क्रिकेट में उनका प्रदर्शन अत्यंत सराहनीय रहा। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में देवांग ने 95 मैचों में 6111 रन बनाए। उन्होंने 42.73 की औसत से 16 शतक और 27 अर्धशतक जमाए थे।
वहीं लिस्ट ए के 98 मैचों में 39.55 की औसत से 3402 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 9 शतक और 16 अर्धशतक लगाए। साल 2004 में उनकी कप्तानी में ईस्ट जोन ने देवधर ट्रॉफी पर कब्जा जमाया और 2006 में उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट से संन्यास ले लिया। संन्यास के बाद भी देवांग गांधी का क्रिकेट से रिश्ता खत्म नहीं हुआ। उन्होंने भारतीय क्रिकेट के विकास में अहम भूमिका निभाई और राष्ट्रीय चयन समिति के सदस्य बने। उनकी नजरों ने कई युवा खिलाड़ियों को टीम इंडिया तक पहुंचाने में मदद की।