रोहित शर्मा और विराट कोहली के सालाना कॉन्ट्रेक्ट पर उठा विवाद (डिजाइन फोटो)
Star culture in the Indian Cricket Team: साल 2025 में भारतीय क्रिकेट टीम का अब कोई अंतरराष्ट्रीय मुकाबला शेष नहीं है। ऐसे में जब बीसीसीआई के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट 2024-25 पर नजर डालते हैं, तो एक बड़ा विरोधाभास सामने आता है। टीम इंडिया के दो सबसे बड़े नाम रोहित शर्मा और विराट कोहली एलीट ए-प्लस कैटेगरी में बने हुए हैं और सालाना 7-7 करोड़ रुपये की रिटेनर राशि कमा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि दोनों दिग्गजों ने इस दौरान कई अन्य खिलाड़ियों की तुलना में काफी कम मैच खेले हैं।
BCCI के तय मानकों के अनुसार 10 या उससे ज्यादा मुकाबले खेलने वाले खिलाड़ियों की सूची में रोहित और विराट उन पांच खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्होंने सबसे कम मैच खेले। दोनों ने सिर्फ 14-14 मुकाबलों में हिस्सा लिया। टेस्ट और टी20 क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद ये दोनों अब केवल वनडे प्रारूप तक सीमित हैं। इसके उलट, कई युवा खिलाड़ी साल भर तीनों फॉर्मेट में लगातार खेलते रहे, लेकिन उनकी सैलरी इन दिग्गजों से काफी कम रही।
🚨 ROHIT & VIRAT IN A+ 🚨 – Rohit Sharma & Virat Kohli are likely to stay in A+ in the BCCI Annual Contract. [Rohit Juglan] pic.twitter.com/m02EFPAX4B — Johns. (@CricCrazyJohns) December 11, 2025
साल 2025 में रोहित शर्मा के सभी 14 मुकाबले वनडे रहे, जबकि विराट कोहली ने एक टेस्ट और 13 वनडे मैच खेले। इसका मतलब यह हुआ कि बीसीसीआई को इन दोनों खिलाड़ियों का औसतन एक मुकाबला करीब 50 लाख रुपये का पड़ा। रोहित सिर्फ 14 दिन मैदान पर रहकर 7 करोड़ रुपये कमा गए, वहीं विराट ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक टेस्ट समेत कुल 16 दिन मैदान पर बिताकर उतनी ही राशि हासिल की।
इसके ठीक उलट, युवा खिलाड़ियों का वर्कलोड कहीं ज्यादा नजर आया। टेस्ट और वनडे कप्तान शुभमन गिल ने साल 2025 में भारत के लिए सबसे ज्यादा 35 मैच खेले। उन्होंने 9 टेस्ट, 11 वनडे और 15 टी20 मुकाबले खेले, यानी करीब 71 दिन मैदान पर रहे। इसके बावजूद उन्हें ए कैटेगरी के तहत 5 करोड़ रुपये ही मिले। ऑलराउंडर अक्षर पटेल ने 31 मैच खेले, जिनमें 1 टेस्ट, 11 वनडे और 19 टी20 शामिल थे। इतने मैच खेलने के बाद भी वे बी कैटेगरी में रहे और उन्हें 3 करोड़ रुपये मिले। इसी कैटेगरी में कुलदीप यादव भी रहे, जिन्होंने 25 मुकाबले खेले और लगभग 41 दिन मैदान पर बिताए।
ए कैटेगरी में एक अपवाद रवींद्र जडेजा के रूप में जरूर दिखा। उन्होंने साल में 20 मैच खेले, जिनमें 10 टेस्ट और 10 वनडे शामिल थे। कुल मिलाकर करीब 60 दिन मैदान पर रहने वाले जडेजा का योगदान रोहित और विराट की तुलना में कहीं ज्यादा रहा। अगर अन्य क्रिकेट बोर्ड्स से तुलना करें, तो बीसीसीआई का मौजूदा मॉडल सवालों के घेरे में आता है।
इंग्लैंड में मल्टी-ईयर कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम लागू है, जहां टेस्ट और लिमिटेड ओवर दोनों में अहम भूमिका निभाने वाले खिलाड़ियों को ज्यादा सैलरी मिलती है। ऑस्ट्रेलिया में कॉन्ट्रैक्ट ‘अपग्रेड पॉइंट्स’ पर आधारित है, जहां टेस्ट क्रिकेट को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। वहीं, न्यूजीलैंड में तो केंद्रीय अनुबंध पूरी तरह उपलब्धता पर निर्भर करता है और कम मैच खेलने वालों को सूची से बाहर कर दिया जाता है।
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इन आंकड़ों के बाद सवाल साफ है क्या बीसीसीआई का ए ग्रेड अब प्रदर्शन और उपलब्धता पर आधारित है या सिर्फ खिलाड़ी के कद और नाम पर। यह बहस आने वाले समय में और तेज होने की पूरी संभावना है।