किमिया यूसोफी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
पेरिस: साल 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान के हाथों में चली गई थी। जिसके बाद से ही देश में तालिबान शासन शुरू हो गया और महिलाओं की आजादी पूरी तरह से खत्म कर दी गई। अफगान महिलाएं पार्क और जिम में नहीं जा सकती थीं, घर में रह कर ही उन्हें अपनी हिफाजत करनी पड़ती थी। लेकिन इस कड़े कानून के बीच किमिया यूसोफी जैसी एथलीटों ने देश से भागकर अपने सपने पूरे करने पर ध्यान दिया। ऐसे में आज पेरिस ओलंपिक 2024 में वह अपने देश का नाम रोशन करने भाग लेने वाली हैं।
पेरिस ओलंपिक 2024 में छह सदस्यीय अफगान दल में यूसोफी भी शामिल हैं, जो यहां अपना हुनर दिखाएंगी। वह अफगान महिलाओं के टूटे सपने संजोने ट्रैक पर उत्तरेंगी। वह टोक्यो ओलंपिक में ध्वजवाहक भी थीं। 28 वर्षीय युसोफी तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद अभियोजन से बचने के लिए उन्होंने ईरान में शरण ली थी। उसके बाद ओलंपिक आंदोलन में समझौते के तहत एक साल बाद उन्हें ऑस्ट्रेलिया भेजा गया था।
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युसोफी की मानें तो अपने देश का फिर प्रतिनिधित्व करना सम्मान उनके लिए सम्मान की बात है। वह कहती हैं, ”लड़कियां और महिलाएं जो शिक्षा जैसे मौलिक अधिकारों से भी वंचित रह गई, मैं ऐसी महिलाओं के टूटे सपनों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती हूं, जिन्हें पार्क जाने की इजाजत तक नहीं है।
पेरिस ओलंपिक में अफगानिस्तान के छह सदस्यीय दल जिनमें तीन महिलाएं और तीन पुरुष एथलीट हैं वह अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करेंगे। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पहली बार ओलंपिक में अफगानिस्तान प्रतिनिधित्व कर रहा है। महिलाएं एथलेटिक्स और साइकिलिंग में हिस्सा लेंगी, जबकि पुरुष एथलेटिक्स, स्विमिंग और जूडो मैं अपना दम दिखाएंगे।
इन 6 लोगों के अफगान दाल को अफगानिस्तान की मौटे तौर पर निर्वासित राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के परामर्श से अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने चुना था। बता दें कि ओलंपिक की शुरुआत 26 जुलाई से होगी और यह 11 अगस्त तक चलेगा।