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एससीओ की मीटिंग के बाद अब क्या पाकिस्तान को आएगी अक्ल?

पाकिस्तान में हाल ही में सम्पन्न एससीओ की मीटिंग में पाक प्रधानमंत्री ने धैर्य दिखाते हुए एस. जयशंकर को सुना, जब उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उस पर आतंकवाद को प्रश्रय देने का आरोप लगाया।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Oct 21, 2024 | 03:16 PM

एस जयशंकर और नवाज शरीफ (डिजाइन फोटो)

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पाकिस्तान में हाल ही में सम्पन्न शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) की मीटिंग के बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए माना है कि भारत के साथ रिश्ते में गलतियां हुई हैं। पाकिस्तान ने पिछले 75 साल बर्बाद कर दिए हैं, इसलिए अब जरूरी है कि अगले 75 साल बर्बाद न हों। पाकिस्तान के रुख में भारत को लेकर नरमी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने बेबाक अंदाज में पाकिस्तान में रहते हुए ही न सिर्फ उसे बल्कि उसके दोस्त चीन को भी आईना दिखाया।

पाक प्रधानमंत्री ने धैर्य दिखाते हुए एस. जयशंकर को सुना, जब उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उस पर आतंकवाद को प्रश्रय देने का आरोप लगाया। साथ ही चीन का भी बिना नाम लिए उन्होंने उसकी विस्तारवादी मंशा और किसी देश की संप्रभुता का सम्मान न करने का आरोप लगाया।

भारतीय विदेश मंत्री ने एससीओ समिट में भाग लेने के लिए रवाना होने से पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह पाकिस्तान की द्विपक्षीय यात्रा पर नहीं जा रहे बल्कि एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की बैठक में भाग लेने की औपचारिक यात्रा कर रहे हैं। इसके बावजूद न सिर्फ पाकिस्तान की मीडिया ने बल्कि पाकिस्तान की सरकार और उसके कई मंत्री अपने अपने स्तर पर भारत के विदेश मंत्री की इस यात्रा को रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाने वाली तथा नई संभावनाओं की उम्मीदों से भरपूर बताते रहे। जाहिर है पाकिस्तान मौका न होने के बाद भी भारत के साथ रिश्ते बेहतर बनाने का मौका ढूंढ़ने की कोशिश में लगा है।

आर्थिक हालत बेहद खस्ता

इस साल मार्च में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार महज 808 करोड़ डॉलर था, जबकि भारत के महज एक दिन का आयात 2.15 अरब डॉलर है। भारत के पास पाकिस्तान से 7100 फीसदी ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार है। भारत एक महीने में अपने आयात पर जितनी विदेशी मुद्रा खर्च करता है, पाकिस्तान उतनी विदेशी मुद्रा पाने के लिए पिछले दो वर्षों से वैश्विक वित्तीय संस्थाओं के समक्ष गिड़गिड़ा रहा है और उनकी हर अपमानजनक शर्त को भी मानने को तैयार है।

यह भी पढ़ें- भारत के खिलाफ पश्चिमी देशों की मिलीभगत, फाइव आइज का कनाडा को समर्थन

फिर भी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को महज इतना कर्ज ही दिया है कि जिससे पाकिस्तान अगले छह महीनों की अपनी देनदारियों की किस्त चुका पायेगा। इसके बाद उसकी फिर बुरी हालत होनी तय है। पाकिस्तान के कई अर्थशास्त्रियों का मत है कि 1947 से अब तक उसने भारत को अस्थिर करने के लिए हमारे यहां आतंकवाद का निर्यात करने में और कश्मीर को अपने घरेलू राजनीति और अपनी विदेश नीति का मोहरा बनाये रखने के लिए अरबों डॉलर खर्च करके खुद को बर्बाद कर चुका है।

यूएई ने वीजा देना रोक दिया

उसी पाकिस्तान के लोगों को यूएई ने वीजा देने पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। यूएई ने पूरी दुनिया के समक्ष कहा है कि पाकिस्तानी यहां टूरिस्ट वीजा में आते हैं और चुपके से गायब होकर भीख मांगने का काम करते हैं। पिछले कुछ महीनों में यूएई ने करीब 20,000 पाकिस्तानियों को अपने देश वापस भेजा है। पाकिस्तान की यह अपमानजनक स्थिति इसलिए बनी है कि वह पिछले सात दशकों में भारत को बर्बाद करने की जिद में कंगाल हो गया है।

कोई देश नहीं चाहता कि उसके यहां पाकिस्तानी आएं। चीन ने भी पाकिस्तान को और कर्ज देने से मना कर दिया है। पाकिस्तान ये समझ गया है कि अगर भारत के साथ उसके रिश्ते बिगड़े रहे, तो दुनिया के नक्शे से उसका नामोनिशान मिट सकता है।

अगले साल पाकिस्तान में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी क्रिकेट में हिस्सा लेने के लिए भारतीय टीम नहीं जाती, तो न केवल पाकिस्तान के इस टूर्नामेंट के आयोजन पर खतरे के बादल मंडराने लगेंगे बल्कि उसका क्रिकेट बोर्ड हमेशा के लिए तबाह हो जायेगा। अगर भारतीय टीम पाकिस्तान नहीं जाती तो इतनी बड़ी प्रतियोगिता के लिए भी स्पाँसर ढूंढ़े नहीं मिलेंगे। पाकिस्तान को समझ में आ गया है कि भारत से अब और आगे रार मोल लेना अपनी वजूद को खत्म कर लेना होगा।

लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा

Will pakistan come to its senses after the sco meeting

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Published On: Oct 21, 2024 | 03:16 PM

Topics:  

  • Pakistan
  • S Jaishankar

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