आखिर आ ही गई निकाय चुनाव की घड़ी (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: ओबीसी आरक्षण मुद्दे की वजह से विगत 4 वर्षों से स्थानीय निकाय चुनाव टलते आ रहे थे और प्रशासक राज चल रहा था। अब मंगलवार 2 दिसंबर को प्रथम चरण में राज्य की 246 नगरपालिका व 42 नगर पंचायतों में मतदान हो रहा है। बारामती अंबरनाथ सहित 22 स्थानों में मतदान 20 दिसंबर को होगा। कोई भी जनसंख्या सर्वे या आंकड़ों के बिना लागू ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2021 में रोक लगा दी थी और ट्रिपल टेस्ट की शर्त रख दी थी। इस वजह से 92 नगर परिषदों का चुनाव जुलाई 2021 में रोक दिया गया था।
इस दौरान मुंबई, पुणे, नागपुर सहित 29 महानगर पालिकाओं में जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल फरवरी-मार्च 2022 में समाप्त हो गया। तभी से यह महानगर पालिकाएं प्रशासक के नियंत्रण में हैं। इसके अलावा 32 जिला परिषदों व 336 पंचायत समितियों में भी प्रशासक राज चल रहा है। यह प्रशासक सामान्य नागरिकों की आवाज सुनते नहीं हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, कचरा व्यवस्थापन व स्वच्छता पर वैसा ध्यान नहीं दिया जाता जैसा दिया जाना चाहिए। उनके कामकाज में पारदर्शिता का अभाव है। प्रशासक काल में भ्रष्टाचार चर्चा का विषय रहा है। सरकार या सत्ताधारियों के लिए प्रशासक की नियुक्ति सुविधाजनक रहती है अपने विश्वसनीय प्रशासकों को आदेश देना व अपनी मर्जी से काम करवा लेना उनके लिए सहज रहता है लेकिन इससे लोकतंत्र को नुकसान होता है। निर्वाचित जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र की समस्याओं व मांगों को ज्यादा अच्छी तरह समझते हैं।
चुनाव होने पर भी राजनीति में स्थापित कुछ परिवार स्वयं अधिकार हासिल करना चाहते हैं। सामान्य कार्यकर्ता कितनी ही मेहनत करे, उसे पूछा नहीं जाता। अनुभवी कार्यकर्ताओं को प्रशासक राज के दौरान काफी नुकसान उठाना पड़ा। अब उन्हें न्यायालय के अंतिम फैसले का इंतजार रहेगा। चुनाव की अनुमति सशर्त रहने की वजह से अनेक वर्षों में राजनीति में सक्रिय कार्यकर्ताओं के सिर पर अंत तक उपचुनाव की तलवार लटकी रहेगी।
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अनेक नगर परिषदों व नगर पालिकाओं के नगराध्यक्षों तथा कुछ वार्डों में गलत आरक्षण जैसा मामला अदालत में गया। इसका फैसला नहीं होने से चुनाव आगे बढ़ाए गए। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कौन सी कार्रवाई होगी? ग्राम पंचायत, पंचायत समिति व जिला परिषद ग्रामीण लोकतंत्र का आधार हैं। बड़े गांवों में नगर पंचायत व नगर पालिका तथा बड़े शहरों में महापालिका जनता का प्रतिनिधित्व करती हैं। जहां चुनाव हो रहे हैं वहां जनमत किसके पक्ष में जाएगा, इसे लेकर उत्सुकता रहेगी। लोगों को 21 दिसंबर को निकलनेवाले चुनाव नतीजों की प्रतीक्षा रहेगी।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा