अरविंद केजरीवाल (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए बुधवार को होने वाले चुनाव में त्रिपक्षीय मुकाबला होने वाला है। आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस ने इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। तीनों ही पार्टियों ने आश्वासनों की बौछार कर दी है और जनता को मुफ्त में रकम और सुविधाएं देने की बात कही है।
पूर्व मुख्यमंत्री और ‘आप’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि यदि बीजेपी सत्ता में आई तो मुफ्त योजनाएं बंद कर देगी। दिल्ली में लाखों सरकारी कर्मचारी हैं जो केंद्र की बीजेपी सरकार से इसलिए खुश हैं क्योंकि उसने 1 जनवरी 2026 से 8वां वेतन आयोग लागू करने की घोषणा की है। दूसरी श्रेणी में दिल्ली के पारंपरिक पंजाबी, पूर्वांचली व मुस्लिम मतदाता हैं। तीसरा वर्ग वह है जो रोजी-रोटी कमाने के लिए अन्य राज्यों से दिल्ली आकर बसा है। इनकी भी काफी बड़ी तादाद है।
बीजेपी ने दिल्ली के चुनाव में पूरी ताकत लगाई है। प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मध्यप्रदेश से लेकर असम तक के मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार में उत्तरे। पिछले 2 विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी ने यही किया लेकिन सफलता से दूर रह गई।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 7 सीटों पर जीतकर अपना प्रभाव दिखाया था लेकिन दिल्ली में 15 से 20 प्रतिशत ऐसे मतदाता हैं जो लोकसभा चुनाव में बीजेपी को और विधानसभा चुनाव में आप को वोट देते हैं। पिछले 13 वर्षों से दिल्ली में ‘आप’ की सरकार रही है लेकिन शराब घोटाले का आरोप तथा विभिन्न योजनाओं में धांधली का आरोप केजरीवाल की पार्टी पर है। केजरीवाल पर सरकारी आवास को शीशमहल बनाने का आरोप है। वैसे तो कांग्रेस की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित पर भी घर में 10 एसी लगाने का आरोप था लेकिन केजरीवाल आरोप का ठोस उत्तर नहीं दे सके।
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यमुना के पानी में जहर मिलाने का केजरीवाल का आरोप भी विचित्र है। इंडिया गठबंधन की फूट वहीं नजर आ गई जब सपा नेता अखिलेश यादव तो केजरीवाल के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं वहीं राहुल गांधी केजरी का जमकर विरोध कर रहे हैं। यदि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 5 से बढ़कर 8 से 10 प्रतिशत हो गया तो केजरीवाल को भारी नुकसान होगा।
कांग्रेस दलित और मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में खींचने का प्रयास कर रही है। जनता यह भी जानती है कि केजरीवाल कितने भी चुनावी वादे करें लेकिन एलजी उन्हें पूरा नहीं करने देंगे। केंद्र सरकार उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली पर पकड़ बनाए रखती है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा