अमेरिका के राष्ट्रपति का नारा बना बवाल (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क : पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने ड्रिल, बेबी ड्रिल का नारा देकर सारे पर्यावरणवादियों को बुरी तरह निराश कर दिया है।वे चाहते हैं कि धरती और समुद्री तल की अधिक से अधिक खुदाई कर फॉसिल फ्यूल या जैव ईंधन निकालें.’’ हमने कहा, ‘‘ट्रम्प अपने देश की जमीन खोद कर तेल निकालें या कोयला, यह उनका अधिकार है।
जियोलाजिकल सर्वे यही तो पता लगाता है कि भूगर्भ में कौन से खनिज या धातुएं हैं। कहां सोना है और कहां हीरा है,उसके बाद माइनिंग या खनन का काम किया जाता है। ट्रम्प भी ड्रिलिंग के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पेट्रोल, डीजल, कोयले के धुएं से कितना अधिक प्रदूषण फैलता है।मनुष्य के लालच ने धरती, आसमान, समुद्र सभी को प्रदूषित कर रखा है।हिमालय से लेकर अंतरिक्ष तक कचरा फैलाया है, ट्रम्प को समझना चाहिए कि आज दुनिया को क्लीन एनर्जी की जरूरत है।
सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, जल विद्युत को अपनाने तथा ई-वाहनों के उपयोग की जरूरत है.’’ हमने कहा, ‘‘अपना ज्ञान अपने पास ही रखिए।ट्रम्प किसी की सुननेवाले नहीं है।न तो वे पर्यावरण रक्षा के लिए पैसा देंगे, न विश्व स्वास्थ्य संगठन को धन देंगे।वे तो यही कहेंगे कि खोदो बेटा खोदो! ड्रिलिंग मशीन से जगह-जगह पाताल फोड़ कुएं खोदे जाएंगे।हमारे देश में भी पैसे की खातिर रैट होल माइनर्स अपनी जान की बाजी लगाकर खदान की सुरंगों में अंतिम सिरे तक खोदते चले जाते हैं।खदान ढहने या पानी घुसने से उनकी जान जाने का खतरा हमेशा बना रहता है।
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आपने अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा की फिल्म ‘काला पत्थर’ देखी होगी जो बिहार की चासनाला कोयला खदान त्रासदी पर बनाई गई थी।ट्रम्प ने तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक व सऊदी अरब से तेल कीमतें कम करने को कहा है।वे खुद भी अमेरिका में तेल कुएं खुदवाकर ज्यादा से ज्यादा तेल निकालेंगे.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, ट्रम्प को क्यों दोष देते हैं।हमारे देश में भी बार-बार लगातार हर विभाग सड़कें खोदता रहता है।हालत यह है कि इधर खुदा, उधर खुदा, जहां देखो वहां खुदा!’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा