मोदी से व्यापार वार्ता के लिए सहमत हुए ट्रंप (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: आने वाले कुछ सप्ताह में मैं अपने बहुत अच्छे दोस्त प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत करने जा रहा हूं। मुझे विश्वास है कि हमारे दोनों महान देशों के लिए सफलतापूर्वक निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होगी।’ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के इस बयान के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘भारत व अमेरिका करीबी दोस्त व प्राकृतिक साथी हैं। हमारी टीमें इन वार्ताओं का जल्द निष्कर्ष निकालने के लिए कार्य कर रही हैं। मैं भी राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत करने जा रहा हूं। हम साथ मिलकर काम करेंगे अपने लोगों का सुनहरा व अधिक समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए।’ इन दोनों नेताओं के बयानों से कुछ महत्वपूर्ण संकेत मिल रहे हैं। दोनों आपस में बातचीत करने के लिए तैयार हैं।
दोनों देशों की टीमें व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के बहुत करीब हैं और उसके तय होने के बाद ही मोदी व ट्रंप आपस में वार्ता करेंगे, बल्कि व्यापार समझौते की घोषणा करेंगे। मोदी व ट्रंप के रिश्तों में खटास आनी तो उस समय से ही शुरू हो गई थी, जब बाइडेन के कार्यकाल के दौरान मोदी अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर थे और ट्रंप ने ‘माई फ्रेंड मोदी इज कमिंग’ कहते हुए उम्मीद व्यक्त की थी कि मोदी उनसे मिलेंगे व उनका चुनाव प्रचार करेंगे, लेकिन मोदी उनसे नहीं मिले। बदले में ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में मोदी को आमंत्रित नहीं किया, अवैध अप्रवासी भारतीयों को हथकड़ी व बेड़ी पहनाकर मिलिट्री हवाई जहाज से वापस भारत भेजा और फिर जब मोदी अमेरिका गए तो व्हाइट हाउस के गेट पर उनका एक जूनियर अधिकारी से स्वागत कराया, जबकि उस दिन कई अन्य राष्ट्रों के प्रमुखों को ट्रंप ने स्वयं रिसीव किया था। फिर ऑपरेशन सिंदूर की सीजफायर का सारा श्रेय ट्रंप ने स्वयं लेने का प्रयास किया और 40 से अधिक बार कहा कि व्यापार करने का लालच देकर उन्होंने भारत व पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराया था।
ट्रंप यह चाहते थे कि कनाडा में जी-20 की बैठक के बाद मोदी व पाकिस्तान के जनरल आसिम मुनीर उनके साथ व्हाइट हाउस में लंच करें और संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार के लिए उनके नाम का प्रस्ताव रखें। मोदी ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम का हवाला देते हुए लंच निमंत्रण स्वीकार नहीं किया। वैसे भी ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की सिफारिश कैसे की जा सकती थी, जब वह गाजा में इजराइल द्वारा किए जा रहे नरसंहार का समर्थन करते हैं और 24-घंटे में यूक्रेन युद्ध रुकवाने का दावा करने के बावजूद अभी तक कुछ नहीं कर पाए हैं। इस सबसे ट्रंप इतने क्षुब्ध हुए कि भारत पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया फिर उसमें 25 प्रतिशत अतिरिक्त ‘जुर्माना’ जोड़ा यह कहते हुए कि भारत प्रतिबंध के बावजूद रूस से तेल आयात कर रहा है, जबकि यूक्रेन-रूस का युद्ध शुरू होने पर अमेरिका के कहने पर ही भारत ने रूस से तेल लेना शुरू किया था, ताकि तेल के ग्लोबल दामों को नियंत्रित रखा जा सके। अमेरिका स्वयं रूस से खाद व अन्य चीजें आयात करता है, जिनके बारे में ट्रंप का कहना है कि उन्हें मालूम नहीं। कैसा राष्ट्रपति है जिसे अपने देश के बारे में ही कुछ मालूम नहीं? फिर ट्रंप ने कहा कि वह स्क्वाड की बैठक में शामिल नहीं होंगे, जिसकी मेजबानी भारत करेगा।
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मोदी ने चीन में आयोजित एससीओ की बैठक में शामिल होने का निर्णय लिया। यह ट्रंप के लिए जबरदस्त झटका था। अगर रूस, चीन, ईरान व भारत एक मंच पर होंगे तो ट्रंप के टैरिफ युद्ध की सारी हवा निकल जाएगी। इसका ट्रंप को एहसास था, इसलिए उन्होंने कहा कि हम भारत व रूस को ‘डीप, डार्क चीन’ के हाथों खो चुके हैं। लेकिन ट्रंप को जल्द ही महसूस हो गया कि भारत को खोना अमेरिका के लिए काफी हानिकारक होगा, उन्होंने मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्हें फिर से अपना दोस्त कहा।
लेख- शाहिद ए चौधरी