चिराग पासवान (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, केंद्रीय खाद्यान्न प्रक्रिया मंत्री चिराग पासवान दिल्ली दरबार छोड़कर बिहार जाना चाहते हैं। उनकी इच्छा अपने राज्य बिहार का मुख्यमंत्री बनने की है। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?’ हमने कहा, ‘व्यक्ति की इच्छाएं अनंत हैं। इच्छा पूरी नहीं होने पर दुख होता है और क्रोध आता है। इसलिए सब कुछ किस्मत पर छोड़ देना चाहिए। जब रामविलास पासवान मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे तो उनका बेटा कैसे सीएम बनेगा।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, बिहार के पिछड़ेपन के अंधकार में पहले लालूप्रसाद यादव की लालटेन जली।
नीतीश कुमार ने फूंक मारकर लालटेन की बत्ती बुझा दी। अब चिराग पासवान वहां की राजनीति में अपना चिराग रोशन करना चाहते हैं। वह आलराउंडर हैं। पहले फिल्म में एक्टिंग की फिर राजनीति में आ गए। बिहार में दलित और महादलित वाली राजनीति का दलदल है। वहां चिराग पासवान पहल करना चाहते हैं। पारिवारिक मोर्चे पर उन्होंने अपने चाचा पशुपति पारस को काफी पीछे छोड़ दिया है। कहते हैं कि वर्तमान मुख्यमंत्री व जदयू नेता नीतीश कुमार का मानसिक संतुलन गड़बड़ हो गया है। ऐसे में क्या बीजेपी अपना जैक लगाकर चिराग को सीएम बनाना चाहेगी? विधानसभा चुनाव के बाद क्या होगा?’
हमने कहा, ‘यदि चुनाव में बीजेपी की बिजली चमक उठी तो वह अपने ही किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाएगी। यह मत भूलिए कि आपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद बीजेपी को बूस्टर डोज मिली है।’ हमने कहा, ‘आपने बिजली की बात कही जो आज भी बिहार के बहुत से गांवों में पहुंची नहीं है। कहते हैं कि लोग खंबे में लगे बिजली के तार चुरा कर बेच देते हैं। इसलिए बिहार के ग्रामीण क्षेत्र को लालटेन और चिराग के भरोसे रहना पड़ता है। वहां विकास कैसे होगा जब लोग रातोंरात पुल को काटकर उसका लोहा बेच डालते हैं!’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, चिराग का महत्व समझिए। राजेंद्र कुमार की फिल्म का नाम था- चिराग कहां रोशनी कहां! अब चिराग पासवान दिल्ली की बजाय पटना जाकर वहां रोशनी डालना चाहते हैं? देखते हैं, आगे क्या होता है?’ हमने कहा, ‘वह रामविलास पासवान के कुलदीपक है। उन्हें अलादीन का जादुई चिराग मानने की गलती मत करना।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा