नीतीश कुमार और नवीन पटनायक (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: भारत रत्न देश का सर्वोच्च व दुर्लभ नागरिक अलंकरण है जिसे अत्यंत उल्लेखनीय कार्य करने वाली विशिष्ट हस्तियों को दिया जाता रहा है। कुछ वर्ष ऐसे भी होते हैं जब पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे अलंकरण तो दिए जाते है लेकिन भारत रत्न के लिए कोई नाम घोषित नहीं किया जाता।
इसका महत्व न समझते हुए बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मांग की है कि नीतीश कुमार और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को भारत रत्न से अलंकृत किया जाए। यदि इन नेताओं को पद्मश्री या पद्मभूषण देने की मांग होती तो किसी को आपत्ति नहीं होती लेकिन उन्होंने राष्ट्र को कौन सा ऐसा बेमिसाल योगदान दिया है कि उन्हें सर्वोच्च अलंकरण दे दिया जाए? नीतीश कुमार ने सर्वाधिक बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।
कभी वह यूपीए में रहे और उन्होंने जदयू-राजद की गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया तो कभी बीजेपी के साथ गठजोड़ कर सरकार बनाई। कभी उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का विरोध किया तो अब केंद्र की मोदी सरकार को नीतीश कुमार और चंद्राबाबू नायडू का सहयोग मिला हुआ है। जब बीजेपी 240 सीटें पाकर बहुमत से दूर रही तो उसे सरकार बनाने के लिए इन दोनों नेताओं की पार्टियों ने सहारा दे दिया।
नीतीश कुमार की छवि ‘पलटूराम’ की रही है जो राजनीतिक मौसम भांप लेते हैं और मुख्यमंत्री की अपनी कुर्सी पक्की कर लेते हैं। बिहार में कल-कारखाने, उद्योग खोलने और युवाओं को रोजगार देने की दिशा में कुछ नहीं हुआ। फिर किस आधार पर उन्हें भारत रत्न दिया जाए?
क्या इसलिए कि उनकी पार्टी जदयू के सहयोग समर्थन पर मोदी सरकार ने बहुमत जुटाया है? नीतीश को ‘सुशासन बाबू’ कहा जाता है लेकिन जिस राज्य में पुलों को काटकर बेच दिया जाता है, माफिया तंत्र वसूली करता है और कोई उद्योग लगाना नहीं चाहता, वहां कैसा सुशासन? जिस प्रकार महाराष्ट्र में अजीत पवार को स्थायी उपमुख्यमंत्री कहा जाता है वैसे ही नीतीश कुमार भी बिहार में स्थायी मुख्यमंत्री बने हुए हैं।
बीजेपी के पास 50 विधानसभा सीटें हैं लेकिन उसके पास मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं है इसलिए सिर्फ 25 सीटों वाली जदयू के नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाना उसके लिए अपरिहार्य हो गया। जहां तक ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बात है उनके नेतृत्व में राज्य की गरीबी दूर नहीं हो पाई।
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वे बहुत रिजर्व मिजाज के हैं और जनता से घुलते-मिलते नहीं। बीजू पटनायक के पुत्र नवीन की पढ़ाई अमेरिका में हुई थी वह अपने राज्य की उड़िया भाषा बोलना नहीं जानते। जब वह मुख्यमंत्री थे तो एक तमिलभाषी अधिकारी को अपना सहायक रखकर ओडिशा की सरकार चलाते थे। ऐसा कोई तर्क नजर नहीं आता जिसके आधार पर नीतीश कुमार या नवीन पटनायक को भारत रत्न जैसा सर्वोच्च सम्मान देने पर विचार किया जाए!
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा