सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई ईडी को फटकार (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: आर्थिक अपराधों की जांच करनेवाला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अपनी गतिविधियों की वजह से पिछले 10 वर्षों से चर्चा में है।हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की जांच प्रणाली पर तीव्र नाराजगी व्यक्त की एवं विधि सम्मत मर्यादा के पालन पर जोर दिया।न्यायमूर्ति सूर्यकांत, उज्ज्वल भुयान व कोटेश्वर सिंह की पीठ ने ईडी से कहा कि वह अपराधियों जैसा आचरण न करे बल्कि कानून के दायरे में रहकर अपना काम करे।पिछले 5 वर्षों में लगभग 5,000 अपराध दर्ज करने के बाद भी ईडी 10 प्रतिशत से भी कम मामलों में आरोप सिद्ध कर पाई है।
अदालत ने सवाल किया कि जो लोग अनेक वर्षों तक न्यायिक हिरासत में रहते हैं और बाद में निर्दोष छूट जाते हैं, उनकी जवाबदारी कौन लेगा? ईडी की जांच परिणामकारक होनी चाहिए।प्रक्रिया के खेल में समय गंवाने की बजाय ईडी अपनी विश्वसनीयता कायम रखे।इसके पूर्व भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा हुई है लेकिन ईडी की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हुआ।किसी जांच संस्था की हठवादिता लोकतंत्र के लिए घातक है।कर्नाटक के एक मामले की सुनवाई में चीफ जस्टिस ने स्वयं पूछा था कि क्या राजनीतिक लड़ाई के लिए ईडी का उपयोग होता है।राजनीतिक लड़ाई के लिए चुनाव हैं।उसके लिए ईडी का इस्तेमाल क्यों होना चाहिए? इसी वर्ष मई माह में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के मामले में ईडी को फटकारते हुए कहा था कि वह संघ राज्य व्यवस्था का उल्लंघन करते हुए राज्य की स्वायत्तता पर आक्रमण कर रही है।
ऐसे अनेक उदाहरण दिए जा सकते हैं।पिछले कुछ वर्षों से ईडी की कार्यवाही को पक्षपातपूर्ण, चयनात्मक जांच करनेवाली तथा सरकार के दबाव में कार्य करनेवाली होने का आरोप लगातार लगाया जाता रहा।जांच संस्था को अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते समय नैतिकता, पारदर्शिता व कानूनी मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए।यदि ईडी जैसी शक्तिशाली संस्था पर जनता का विश्वास कम हो जाए तो संपूर्ण न्याय व्यवस्था की साख पर आंच आ सकती है।विपक्षी नेताओं पर छापे, गिरफ्तारी और लंबे समय तक जांच जारी रखना और इसके विपरीत सत्तापक्ष से संबंधित मामलों की जांच में नरम रवैया अपनाना जैसे आरोप ईडी पर लग चुके हैं।
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किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद चार्जशीट दाखिल करने में विलंब, जमानत के लिए आरोपी को दीर्घकाल तक कैद रखने से लोगों का एजेंसी की निष्पक्षता पर विश्वास डगमगा गया है।ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईडी को फटकार सुनाना उल्लेखनीय है।कोई भी संस्था या एजेंसी इतनी शक्तिशाली न बने कि मनमानी करने लग जाए।