पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz), अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प(President Donald Trump)के समर्थक राजनीतिक विश्लेषक टॉमी लाहरेन (Tomi Lahren)को हिंदी बोलना भारी पड़ गया. उन्होंने सोचा कि भारतीय मूल के मतदाताओं को हिंदी बोलकर अपनी ओर आकर्षित कर लेंगे लेकिन यह दांव उल्टा पड़ा. टॉमी ने डोनाल्ड ट्रम्प की प्रशंसा करते हुए उन्हें उल्लू की तरह बुद्धिमान बताया. उन्हें यह नहीं पता था कि भारत में उल्लू शब्द का इस्तेमाल मूर्ख या बेवकूफ के लिए किया जाता है. अब सोशल मीडिया पर उनका जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है.’’ हमने कहा, ‘‘टॉमी को दोष क्यों देते हैं? उन्होंने किसी उल्लू में बुद्धिमानी के लक्षण देखे होंगे. उन्हें किसी ने बताया होगा कि उल्लू रात में देख सकता है और खेतों में चूहे पकड़कर खा लेता है. इस तरह वह किसानों का मित्र है. हिंदी में उल्लू की दुम और उल्लू का पट्ठा जैसी गालियां हैं. जब किसी विद्यार्थी को बार-बार समझाने पर भी उसके भेजे में कुछ नहीं घुसता था तो पुराने मास्टर झल्ला कर कहते थे- उल्लू कहीं का! तुझे जरा भी अक्ल नहीं है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, अमेरिका विश्व का सबसे समृद्ध देश है. धन की लक्ष्मी उन पर प्रसन्न हैं. लक्ष्मी का प्रिय वाहन उल्लू है. शायद इसीलिए टॉमी ने दौलतमंद ट्रम्प को उल्लू कह दिया. ट्रम्प को लक्ष्मी वाहन बताने पर बुरा नहीं लगना चाहिए.
वैसे भी ट्रम्प को चुनाव में अपना उल्लू सीधा करना है.’’ हमने कहा, ‘‘उल्लू पर बैठी लक्ष्मी की कोई पूजा नहीं करता. कमल के आसन पर विराजमान लक्ष्मी की ही पूजा की जाती है. उल्लू खंडहर, मरघट या निर्जन स्थानों पर रहता है. उल्लू की शक्ल भी अच्छी नहीं होती. चुनावी विश्लेषक टॉमी को चाहिए था कि ट्रम्प की मोर या हंस जैसे किसी अच्छे पक्षी से तुलना करता. अमेरिका के राजचिन्ह ईगल या गरुड़ से भी तुलना की जा सकती थी.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यदि उल्लू अशुभ पक्षी होता तो बंगालियों की शादी में महिलाएं मुंह गोल कर उलूक ध्वनि (उल्लू की आवाज) नहीं निकालतीं. चुनावी विश्लेषक ने ट्रम्प की तुलना उल्लू से की, कौए से तो नहीं की. फिर बात का बतंगड़ बनाने से क्या फायदा! अमेरिकी चुनाव की बजाय अपने देश की सबसे पुरानी पार्टी की ओर देखिए कि उसमें क्या हो रहा है? वहां कैसा अंतर्कलह है? जब विवेक को ताक पर रखकर कोई बरबादी के रास्ते पर चल पड़ता है तो उसे कैसे रोका जाए? आपने शेर सुना होगा- बरबाद चमन को करने को बस एक ही उल्लू काफी था, हर शाख पे उल्लू बैठे हैं, अंजामे गुलिस्तां क्या होगा!’’