16 बीएलओ की मौत (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: मध्य प्रदेश में पिछले 48 घंटों के दौरान 4 बीएलओ की मौत हुई है, दो को हार्ट अटैक आया है, एक लापता है और 50 से ज्यादा बीमार हैं।बंगाल में अब तक 3 बीएलओ की मौत हुई हैं, जिनमें से दो ने आत्महत्या की हैं।राजस्थान से 3 और तमिलनाडु व केरल से 1-1 बीएलओ के मरने की खबरें अभी तक मिली हैं।बंगाल के नादिया जिले में बीएलओ के रूप में कार्य कर रही एक महिला का शव 22 नवंबर को उसके घर पर लटका हुआ मिला।
उसके परिजनों का कहना है कि वह एसआईआर के काम के कारण बहुत अधिक तनाव में थी।बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आत्महत्या नोट को साझा करते हुए बीएलओ की मौत पर दुख व्यक्त किया और इसके लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह ‘वास्तव में अब बहुत चिंताजनक हो गया हैं’।चूंकि बीएलओ को दिल का दौरा पड़ने व आत्महत्या से हो रही मौतों को एसआईआर के कार्य-संबंधी ‘दबाव’ से जोड़ा जा रहा है, इसलिए चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि एसआईआर के फेज-2 के कार्य को अधिक ‘रिलैक्स गति’ से आगे बढ़ाया जा रहा है, फेज-1 बिहार के लिए विशिष्ट था।एक अधिकारी के अनुसार, बिहार में मुकेश जांगिड़ ने रेल के आगे कूदकर जान दी।राजस्थान के ही करौली में एक अन्य बीएलओ की मौत एसआईआर कार्य संबंधी दबाव के कारण हुई है और सवाई माधोपुर में एक बीएलओ को इसी वजह से दिल का दौरा पड़ा है।उधर मध्य प्रदेश के रायसेन में बीएलओ रमाकांत पांडे की मौत हुई।उनके परिजनों ने बताया कि वह चार रातों से सोये नहीं थे।
ऑनलाइन मीटिंग के बाद बेहोश होकर गिर पड़े, फिर बचाया नहीं जा सका।दमोह के 50 वर्षीय सीताराम गौड़ फार्म भरते समय बीमार हुए और उनकी भी मौत हो गई।रामसेन के बीएलओ नारायण सोनी 7 दिन से लापता हैं।उनके परिजनों का कहना है कि टारगेट, देर रात मीटिंग और निलंबन की चेतावनी से परेशान थे।भोपाल में काम कर रही बीएलओ कीर्ति कौशल और मुहम्मद लईक को ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक आया, दोनों अस्पताल में भर्ती हैं।
दतिया के 50 वर्षीय बीएलओ उदयभान सिहारे ने 11 नवंबर को आत्महत्या कर ली थी, उन्होंने भी एसआईआर के कार्य-संबंधी तनाव को अपनी जान स्वयं लेने का कारण बताया।इस समस्या के उचित समाधान तलाश किए जाने चाहिए।अब तक जो बात सामने आई है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि एसआईआर में एक बीएलओ पर काम का बहुत अधिक बोझ डाला गया है यानी काम ज्यादा है और उसे पूरा करने के लिए समय कम दिया गया है।साथ ही जो डेड लाइन दी गई है, उस तक काम पूरा न करने पर निलंबन की धमकी की तलवार भी लटकी हुई है।
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मतदाता फॉर्म चार दिन में बांट दिए गए थे, लेकिन फेज-2 में वितरण की अवधि को बढ़ाकर 10 दिन कर दिया गया है।इस अधिकारी का यह भी कहना है कि बीएलओ पर दबाव की शिकायतें मुख्यतः बंगाल जैसे राज्यों से ही आ रही हैं, जबकि अन्य राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर का कार्य एकदम सुचारू रूप से चल रहा है।बीएलओ 48-वर्षीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जारी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (एसआईआर) के बीच बूथ लेवल अफसरों (बीएलओ) की मौतें व बीमारियां गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही हैं।4 नवंबर 2025 से आरंभ हुई एसआईआर से अब तक 6 राज्यों में 16 बीएलओ की मृत्यु हो गई है, जिसके कारण आत्महत्या, हार्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज आदि हैं।इसके अतिरिक्त तनाव व डिप्रेशन की वजह से सैंकड़ों बीएलओ बीमार पड़े हैं।गुजरात में 4 दिन में 4 बीएलओ की मौत हो चुकी है, जबकि एक ने आत्महत्या की है।
लेख- शाहिद ए चौधरी के द्वारा