सोने की चिड़िया नहीं, सिंह बने भारत (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने एक नई बात कही है जिस पर गौर किया जा सकता है।उन्होंने कहा कि भारत को सोने की चिड़िया नहीं, सिंह बनना चाहिए।इस संबंध में आपकी क्या राय है?’ हमने कहा, ‘चिड़िया चहचहाती है जबकि सिंह दहाड़ता है।जब यूरोप के लोग कंगाल थे तब भारत की इकोनॉमी विश्व की कुल अर्थव्यवस्था की 23 प्रतिशत थी।उसे विदेशी गोल्डन बर्ड या सोने की चिड़िया मानकर यहां आते थे ताकि यहां के धन की लूटखसोट कर सकें।हूण, शक, तातार, मंगोल, मुगल, ब्रिटिश, फ्रेंच, डच सभी इसी इरादे से भारत आए।
विदेशी हमलावरों में चंगेज खान और नादिरशाह जैसे लुटेरे थे।सिकंदर भी विश्वविजय का सपना लेकर भारत आया था जिसका पोरस से मुकाबला हुआ था।देश में 600 साल मुगलों और 200 वर्ष से ज्यादा अंग्रेजों ने राज किया।अंग्रेज हमारा कोहिनूर हीरा अपने साथ ले गए।लार्ड क्लाइव सबसे बड़ा चोर था जो सिराजुद्दौला की कीमती पालकी और टीपू सुलतान के ठोस सोने से बने बाघ के मुखवाले रत्नों से जड़े सिंहासन का हिस्सा अपने साथ ले गया।चिड़ीमार लोग चिड़िया का शिकार करते हैं या उसे पिंजरे में कैद कर लेते हैं इसलिए भागवत की बात में दम है कि हमारा देश सिंह या बब्बर शेर बन जाए।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, इसकी फिक्र मत कीजिए।अपने यहां गुजरात के गिर अभयारण्य में सिंहों की बड़ी तादाद है।कितने ही लोग अपने नाम के साथ सिंह लगाते हैं।शहरों में लायन्स क्लब हैं जिनके सदस्य अपने नाम की शुरूआत में लॉयन लगाते हैं।आपने फिल्म अभिनेता अजीत का डायलाग सुना होगा- सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है.’ हमने कहा, ‘आपको मालूम होना चाहिए कि सिंहनी शिकार मारकर लाती है और सिंह मजे से खाता है।वह स्वभाव से आलसी होता है।’
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पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, आपने देखा होगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब ‘मेक इन इंडिया’ नारा दिया तो उसके प्रतीक चिन्ह में कलपुर्जो और मशीन से बने सिंह या लॉयन को रखा गया है।सिंह जब गरजता है तो पूरे जंगल में सन्नाटा छा जाता है।भारत रूपी सिंह दहाड़ेगा तो पूरी दुनिया उसकी शक्ति, शौर्य और पराक्रम देखकर सहम जाएगी।हमारी इकोनामी और जीडीपी लगातार बढ़ रही है हमारे शहरों में समृद्धि देखी जा रही है।भारतीयों की प्रतिभा व हुनर अद्वितीय है।यदि अंग्रेजों ने भारत पर राज किया था तो भारतीय मूल के ऋषि सुनक ने भी कुछ वर्षों तक ब्रिटेन का पीएम बनकर अंग्रेजों पर हुकूमत की थी।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा