हिंदू देवताओं पर रेवंत रेड्डी के बेतुके बोल (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: कांग्रेस अपने कुछ नेताओं के नासमझी भरे शरारतपूर्ण बयानों से जनरोष को आमंत्रित कर रही है। उसकी अलोकप्रियता की बड़ी वजह यह भी है कि वह देश के बहुसंख्यक हिंदू समुदाय की आस्था को जानबूझकर ठेस पहुंचानेवाले नादान नेताओं को प्रोत्साहन देती है। राजनीतिक रूप से सफल कोई नेता विद्वान या ज्ञानी नहीं हो जाता। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिंदू धर्म और देवी-देवताओं की आलोचना करना तथा मुस्लिम तुष्टिकरण करना कुछ नेताओं की आदत रही है। ऐसे ही नेताओं ने कांग्रेस की जड़ें खोदी हैं। उनमें अन्य किसी धर्म के बारे में बोलने की हिम्मत नहीं है। वे भूल गए कि कांग्रेस का मूल चरित्र हिंदू विरोधी नहीं रहा।
कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पं. मदनमोहन मालवीय, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, केएम मुंशी, पूर्व राष्ट्रपति डा। राजेंद्र प्रसाद व डा। राधाकृष्णन हिंदूधर्म व संस्कृति के प्रति गहरी आस्था रखते थे। सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था और प्रथम राष्ट्रपति डा। राजेंद्र प्रसाद ने उसका उद्घाटन किया था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रुद्राक्ष की माला गले में धारण करती थीं और मंदिरों में दर्शन करने जाती थीं। अब उन्हीं की कांग्रेस के नेता हिंदू व सनातन धर्म का विरोध करने और खिल्ली उड़ाने पर उतर आए हैं। यह असहनीय है। तेलंगाना के कांग्रेसी मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने हिंदू धर्म में कई भगवान होने का मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा कि हिंदू कितने सारे भगवान में विश्वास करते हैं? करीब 3 करोड़! इनके यहां तो अविवाहित लोगों का भी एक भगवान है। जो शराब पीते हैं उनके लिए अलग भगवान है।
रेवंत रेड्डी को भगवान और देवताओं का अंतर नहीं मालूम। भगवान एक हैं जबकि देवता 33 कोटि माने जाते हैं। कोटि का अर्थ सिर्फ करोड़ नहीं होता, उसका मतलब श्रेणी भी होता है जैसे कि उच्च कोटि का मनुष्य। हिंदू धर्म संकीर्ण या कट्टर नहीं बल्कि अत्यंत व्यापक है। एक ही घर का कोई सदस्य कृष्ण भक्त, कोई शिवभक्त हो सकता है, किसी की देवी दुर्गा के प्रति आस्था हो सकती है तो किसी के इष्ट देव हनुमान हो सकते हैं। स्वयं कृष्ण भगवान ने गीता जैसी विश्व की अनुपम कृति में कहा है कि जिस प्रकार सारी नदियां समुद्र में जाकर मिलती हैं, उसी तरह कोई किसी भी देवता को पूजे वह अंत में आकर मुझमें ही मिलता है। इस तरह रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन मंजिल एक ही है। हनुमान को विवाहित और अविवाहित सभी हिंदू मानते हैं।
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उन्होंने भगवान श्रीराम की निष्काम सेवा और अतुलनीय पराक्रम की मिसाल रची थी। हनुमान को सप्त चिरंजीवों में से एक व अमर माना जाता है। कृष्ण भगवान ने भौमासुर की कैद से 16,000 राजकुमारियों को छुड़ाने के बाद उन्हें सम्मानित दर्जा देने के लिए उनके साथ विवाह किया था। शिव का उग्र रूप भैरव है जिन्हें उस दृष्टि से देखा जाना चाहिए। हिंदू धर्म की प्राचीनता और व्यापकता समझना आसान नहीं है। वेद, पुराण, उपनिषद, गीता रामायण में हिंदुत्व की बुनियाद समाई हुई है। उदारता, समावेशिकता, लचीलापन हिंदू धर्म की पहचान है। हिंदू किसी को जबरन या प्रलोभन देकर हिंदू नहीं बनाता। रेवंत रेड्डी का अधकचरा बयान उनकी नादानी दर्शाता है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा