बलूचिस्तान के बाद सिंध में भी बगावत (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: भारत के खिलाफ निरंतर साजिश करने वाला पाकिस्तान कब तक अपनी आंतरिक समस्याओं से मुंह फेरेगा! बलूचिस्तान के बाद सिंध भी पाकिस्तान से अलग होने के लिए संघर्ष कर रहा है। पाकिस्तानी सेना ऐसे क्षेत्रों में भीषण दमनचक्र चला रही है। बलूचिस्तान में तो हजारों लोगों का अपहरण कर गायब कर दिया जाता है। सिंध में कम उम्र की हिंदू लड़कियों का अपहरण कर, जबरन धर्म परिवर्तन कर उनसे निकाह कर लिया जाता है। इसकी शिकायत वहां की पुलिस दर्ज नहीं करती। पाकिस्तान के अत्याचारों से सिंध प्रांत में असंतोष धधकने लगा है।
सिंधु नहर परियोजना और कार्पोरेट खेती के विरोध में सिंध के नौशहरो फिरोज जिले में किए गए जनआंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया। आंदोलनकारियों ने सिंध प्रांत के गृहमंत्री का घर जला दिया। पुलिस की गोलीबारी से 3 लोगों की मौत हुई व अनेक घायल हो गए। सिंध के किसानों का आरोप है कि उनकी खेती हड़पने के लिए बड़ी साजिश की जा रही है। ग्रीन पाकिस्तान ‘इनीशिएटिव’ नामक प्रकल्प को दूसरी हरित क्रांति बताते हुए उस पर 3।50 अरब डॉलर का निवेश किया जा रहा है। इसके अंतर्गत चोलिस्तान कहलानेवाले सूखा क्षेत्र की लगभग 48 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई करने के लिए सैकड़ों किलोमीटर लंबी 6 नहरें बनाई जाएंगी।
यह प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का ड्रीम प्रोजेक्ट है। आंदोलनकारियों का आरोप है कि इस प्रोजेक्ट के जरिए सिंध को मिलनेवाला पानी पंजाब ले जाने की साजिश है। भारत ने सिंधु नदी जल समझौता स्थगित कर दिया है जिससे सिंध में पहले ही चिंता है, अब पाकिस्तान सरकार की इस योजना से और भी नाराजगी उत्पन्न हो गई है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का देश के अन्य प्रांतों- सिंध, बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनवा पर वर्चस्व है। पंजाब के नेता पाकिस्तान की सत्ता में रहकर इन प्रांतों के विकास की घोर उपेक्षा करते हैं। सिंध को 20 प्रतिशत कम पानी दिए जाने का आरोप है। औसत से 62 प्रतिशत वर्षा कम होने की वजह से सूखे की स्थिति है। पिछले दिनों आंदोलनकारियों ने कराची बंदरगाह जाने का रास्ता कई दिनों तक रोक रखा था।
पाकिस्तान में तेल, शक्कर व निर्माण क्षेत्र में सेनाधिकारियों के स्वामित्व की कंपनियां हैं। इनकी बदौलत सत्ताधारी नेता और सेनाधिकारी अत्यंत समृद्ध और ताकतवर हो गए हैं। लोगों पर दबाव डालकर उनकी जमीन दीर्घावधि करार करके छीनी जा रही है। इसे अधिग्रहण बताया जा रहा है लेकिन मुआवजा मिलने के आसार नजर नहीं आते। आम जनता गरीबी, बेरोजगारी से जूझ रही है। महंगाई चरम पर है। ऐसी हालत में पाकिस्तान में बगावत के आसार नजर आते हैं। वहां की सरकार सेना के दबाव में कठपुतली बनी हुई है।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा