राज्यसभा जाने से बचे मोदी (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, ऐसा क्यों हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में तो बयान दिया लेकिन राज्यसभा में जाकर बोलने से कतराएं? राज्यसभा का महत्व इसलिए है कि वह हाउस ऑफ एल्डर्स या वरिष्ठों का सदन है।’ हमने कहा, ‘प्रधानमंत्री की मर्जी है कि किस सदन में भाषण दें। राज्यसभा में विपक्ष का चक्रव्यूह है जहां मोदी से असुविधाजनक प्रश्न पूछे जाते, इसलिए उन्होंने वहां जाना टाल दिया।
जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूछा कि पीएम लोकसभा में जा सकते हैं तो राज्यसभा में क्यों नहीं तो गृहमंत्री अमित शाह गुस्से से बोले कि पहले मुझसे तो निपट लो। मोदी आएंगे तो आपका और बुरा हाल होगा। तभी शाह का पक्ष लेने के लिए केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू खड़े हो गए जो कि कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे। शाह ने डांटते हुए कहा- ओ बिट्टू बैठ जा! इस तरह शाह अपने लोगों को भी फटकार देते हैं।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, हमें ऐसा लगता है कि मोदी इसलिए राज्यसभा में नहीं गए क्योंकि वहां उनसे पूछा जाता कि ट्रंप बार-बार भारत-पाक संघर्ष रुकवाने का दावा कर रहे हैं। इस पर आप चुप क्यों हैं? क्यों नहीं कहते कि ट्रंप झूठे हैं? यदि मोदी ट्रंप को झूठा करार देते तो ट्रंप टैरिफ और बढ़ा सकते थे। इसी तरह ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को चीन के सहयोग के मुद्दे पर भी मोदी से सवाल किया जाता कि क्या चीन ने पाक को मिसाइल, फाइटर जेट और ड्रोन मुहैया कराए थे। मोदी खुलकर चीन का नाम भी लेना नहीं चाहते थे।’
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हमने कहा, ‘विपक्ष के एक भी प्रश्न का जवाब देना टालते हुए मोदी ने लोकसभा में विपक्ष को संबोधित करते हुए कहा- अरे बयान बहादुरो!’ विपक्ष का सवाल था कि ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में चर्चा जारी रहते आतंकवादी कैसे मारे गए। पिछले 100 दिनों से वह कहां छिपे बैठे थे? इस पर मोदी ने कहा कि इसके लिए सावन सोमवार का मुहूर्त निकालूं क्या? मुद्दों को टालकर मोदी विपक्ष की खिल्ली उड़ाते रहे और उनके समर्थक ताली बजाते रहे। यह सब लोकसभा में चल गया लेकिन मोदी जानते थे कि यह फार्मूला राज्यसभा में नहीं चल पाएगा इसलिए वह वहां नहीं गए।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा