विमानन उद्योग (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: वर्तमान में एविएशन इंड्रस्ट्री हर तरफ से दबाव में है। साधनों की कमी से जूझ रही यह इंड्रस्ट्री एक तरफ हवाई दुर्घटनाओं से परेशान है, साथ ही सोशल स्टेटस के लिए की जा रही यात्राओं के कारण भी यात्रियों की भीड़ को संभाल नहीं पा रही है। यात्रियों के आपसी झगड़े, सहयात्री पर टायलेट कर देना या फिर एयर क्रू से बदतमीजी करना इतना आम हो गया है। कि फेसबुक जैसे प्लेटफार्म पर इनकी रील खूब प्रचार पा रही हैं। जो यात्राएं कल तक जरूरत की श्रेणी में आती थीं, वह अब एक-दूसरे को दिखाने के लिए सोशल स्टेटस बन रही हैं। दो देशों के बीच में युद्ध हो तो, मौसम बिगड़े तो, कोई दुर्घटना हो जाए, तो सबसे पहले एविएशन उद्योग पर असर आता है।
आधुनिक धनकुबेरों ने एविएशन इंड्रस्ट्री के लिए ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि वह संभल नहीं पा रही है। इन यात्राओं में होने वाली भीड़ को देखकर कभी-कभी सड़कों पर दौड़ लगाती प्राइवेट बसों की याद आ जाती है। देश का हर कोना आज लगभग हवाई मार्ग से जुड़ चुका है। जहां पर हवाई पट्टी नहीं हैं, वहां पर हेलीकॉप्टर की सेवाएं उपलब्ध हैं। कुछ समय पहले तक हवाई यात्राएं सीमित दायरे में थीं, फिर जैसे ही यह विस्तार पाने लगीं तो यह आम जरूरत हो गई। व्यापार, चिकित्सा, इमरजेंसी के लिए इनका उपयोग एक तरह से संस्कारित दायरे में होता था, पर अब यह सेवाएं इतनी अधिक आम हो गई हैं कि मध्यम वर्गीय ही नहीं, जिसे हम विकसित होती जनता कहते हैं, वह भी सोशल स्टेटस के लिए हवाई मार्ग अपनाने लगी।
एलीट वर्ग को छोड़कर आज भी आम आदमी के लिए हवाई यात्रा करना काफी महंगा है, फिर भी बढ़ती भीड़ ने आवश्यकता को फैशन- लग्जरी बनाने में अपना पूरा योगदान दिया है। एविएशन की दुनिया में बढ़ती भीड़ के कारण रख-रखाव प्रभावित हो रहा है। और स्टाफ की कमी के कारण जब-तब पायलटों का उड़ान को बीच में ही छोड़ देना अब बड़ी बात नहीं रह गई है। भीड़ की हालत यह है कि वह हर हाल में हवा में सफर करना चाहती है, चाहे सफर के लिए मौसम अनुकूल हो या न हो।
सबसे अधिक भीड़ ग्रीष्म ऋतु में तब देखी जाती है, जब तीर्थयात्राएं होती हैं और पर्यटन का पूरे देश में सीजन माना जाता है। उत्तराखंड के चार धाम, अमरनाथ यात्रा, कुंभ जैसी पर्व विशेष यात्राएं, पहाड़ी स्थानों पर जाने की जल्दी उन बातों में शुमार है, जिसमें कहा जाता है कि हवाई यात्रा काफी सुगम होती हैं। पर कुछ वर्षों से यह यात्राएं साइबर स्कैमरों के लिए मौका बन चुकी हैं, साथ ही होने वाली दुर्घटनाएं सरकार संचालन फर्म के लिए मुसीबत बन रही हैं।
केदारनाथ यात्रा जब 2 मई को आरंभ हुई तो उसके बाद से 50 दिन में आठ हेली कंपनियों के माध्यम से 56 हजार से अधिक यात्रियों ने बाबा के दर्शन किए। भीड़ का अंदाज इसी से लग सकता है कि 15 जून को गौरीकुंड के पास हुई हेली दुर्घटना के बाद सात दिनों में 7,000 से अधिक टिकट कैंसिल हुए। यहां पर भीड़ ने यह ध्यान नहीं रखा कि यात्रा मार्ग में उड़ान के लिए क्या मौसम सही होगा? इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि हेली सेवा देने वाली कंपनियों ने अधिक यात्रियों के लिए अपनी उड़ानों को उन नियमों से परे रखा जो सुरक्षा के लिए जरूरी थीं।
यह बात भी कम नहीं है कि भीड़ हेली बुकिंग के नाम पर ठगी जा रही है। सरकार ने 2023 में 64 से अधिक फर्जी वेबसाइट बंद कराई तथा इस वर्ष अभी तक 51 बेबसाइट तथा 111 नंबर ब्लाक करवाए हैं। व्हाटसअप नंबरों के साथ ही बैंक एकाउंट भी सरकार ने बंद कराए हैं, लेकिन इस पर भी ठगी जारी है। अब होने वाली अमरनाथ यात्रा में सरकार ने हेली सेवा रोक दी है। तथा केदारनाथ जैसी यात्रा के लिए भी बारिश बंद होने तक हेली सेवाएं स्थगित हैं। लोग धर्म के लिए यात्रा करते समय भी सुविधा भोगी हो गए हैं, इसलिए हेली सेवाओं की गुणवत्ता कम होती जा रही है।
यात्रियों द्वारा डाले गए सोशल मीडिया पर रील आदि में साफ नजर आता है कि हेलीकॉप्टर में किस आपाधापी में यात्री बैठाए जा रहे हैं और हेलीकॉप्टर इस तरह से दौड़ रहे हैं जैसे सड़क पर सार्वजनिक वाहन। जहां तक हवाई जहाजों की बात है तो वह भी यात्रियों की भीड़ के कारण सुरक्षा मानक पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इन स्थितियों में कहा जा सकता है कि हवाई यात्राएं अब जरूरत नहीं बल्कि सोशल स्टेट्स बनती जा रही हैं। –
लेख- मनोज वार्ष्णेय के द्वारा