मतदान करने से पहले सोचना जरूरी (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: मतदान की घड़ी निकट आ गई है। उम्मीदवारों के दिलों की धड़कन बढ़ गई है कि जनता किसे जिताएगी और किसे हराएगी। इस चुनाव में सभी पार्टियों ने वादों और आश्वासनों की खैरात बांटने में कसर बाकी नहीं रखी। हर पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में बताया है कि सत्ता में आने पर क्या काम करेगी लेकिन यह नहीं बताया कि इसके लिए धन राशि कैसे जुटाएगी। क्या इसके लिए टैक्स बढ़ाए जाएंगे या राज्य को कर्ज लेना पड़ेगा? जनता को यह सुनने में रुचि नहीं है कि पहले क्या हुआ था या लोगों से कैसा अन्याय हुआ था।
लोग यह जानना चाहते हैं कि भविष्य में नेता और उनकी पार्टी क्या करने जा रही है। इस समय महाराष्ट्र के युवा बेरोजगारी की बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं। सरकारी नौकरियां और आरक्षण इसका जवाब नहीं है। जब तक उद्योग धंधे नहीं बढ़ाए जाते तब तक रोजगार की समस्या हल नहीं होगी। पेयजल आपूर्ति, कृषि उपज को सही भाव, स्वास्थ्य व्यवस्था, पेंशन जैसे अनेक मुद्दे पार्टियों के घोषणा पत्रों में दिखाई देते हैं लेकिन बढ़ते शहरीकरण, उससे उत्पन्न होनेवाली समस्या, शहर के कचरे का निपटान जैसे प्रश्नों पर विचार नहीं किया गया। सार्वजनिक परिवहन को सक्षम बनाने की आवश्यकता है।
प्राय: सभी पार्टियों ने समझ रखा है कि विकास का अर्थ भरपूर निर्माण कार्य, सड़क, पुल, मेट्रो, ओवरब्रिज, अंडरब्रिज, बड़े मनोरंजन केंद्र तथा महापुरुषों के स्मारक बनाना है। युवा पीढ़ी व्यवसनाधीन हो रही है, उस बारे में भी सोचा जाना चाहिए। इस चुनाव के पूर्व राज्य में इतनी राजनीतिक पार्टियां और गठबंधन नहीं थे। इस बार 8 बड़ी पार्टियां, राष्ट्रीय व राज्य स्तर के दल तथा निर्दलीय मैदान में हैं। बागी उम्मीदवार वोट कटवा साबित हो सकते हैं। इतनी अनिश्चितता महाराष्ट्र में पहले अनुभव नहीं की गई थी जितनी इस बार के चुनाव में है।
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चुनाव के नतीजे बताएंगे कि क्या आगे भी ऐसी अनिश्चितता बनी रहेगी! महाराष्ट्र में मतदान का प्रतिशत प्राय: कम रहता है। शहरी इलाकों में तो और भी कम मतदान होता देखा गया है। मतदाताओं को अपने हक के प्रति जागृत होकर अवश्य मतदान करना चाहिए। मतदान बुधवार को रखा गया है इसलिए कोई वीकेंड मनाने या बाहर जाने का बहाना नहीं बना सकता। मतदान का प्रतिशत बढ़ने पर ही सुयोग्य और जिम्मेदार नेता मिल सकते हैं। विकास सभी को चाहिए लेकिन वह टिकाऊ और जीवन को सुविधाजनक बनानेवाला होना चाहिए। इन सारी बातों पर गंभीरता से विचार कर योग्य व क्षमतावान जनसेवी उम्मीदवार को चुनना ही उचित होगा।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा