फरहान ने स्टेनगन जैसा दिया पोज (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: भारत के टी-20 कप्तान सूर्य कुमार यादव ने क्रिकेट प्रेमियों सूर्यकुमार व विशेषज्ञों से आग्रह किया है कि वह भारत व पाकिस्तान के मैचों को ‘प्रतिद्वंदिता’ कहना बंद कर दें क्योंकि यह ‘नो-कांटेस्ट’ (बराबरी का मुकाबला न होना) हैं।सूर्य की बात एकदम सही है, क्योंकि अब भारत व पाकिस्तान के मैचों में पहला सा रोमांच व टक्कर है ही नहीं।भारत बहुत ही मजबूत टीम है और पाकिस्तान इतनी कमजोर टीम है कि आईसीसी के एसोसिएट सदस्यों से भी उसे जूझना पड़ता है।भारत निरंतर एकतरफा जीत दर्ज कर रहा है, जैसा कि एशिया कप में अभी तक दोनों टीमों के बीच हुए दोनों मैचों से जाहिर है।
भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर का कहना है कि पाकिस्तान की वर्तमान टीम को देखकर दुःख होता है, उनके मैच देखने का भी दिल नहीं करता, जबकि ‘एक जमाने में मैं विशेषरूप से हनीफ मुहम्मद, इमरान खान आदि को खेलते हुए देखना पसंद करता था’।इसी कड़ी में भारत के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी इरफान पठान का कहना है कि पाकिस्तान की वर्तमान टीम को आईपीएल की कोई भी टीम हरा देगी।पाकिस्तान की वर्तमान टीम में जो खिलाड़ी खेल रहे हैं, उनकी बदतमीजियां अपने चरम पर हैं।उनकी हरकतें बता रही हैं कि दशकों के सैन्यकरण व आतंकवाद ने उनके मनोविज्ञान पर बहुत गहरा नकारात्मक प्रभाव डाला है, जैसा कि सुपर-4 के मैच में अर्द्धशतक लगाने के बाद साहिबजादा फरहान के ‘गन जश्न’ से स्पष्ट है।उन्होंने भारतीय दर्शकों की ओर स्टेनगन की तरह बल्ले को ताना मानो भारत पर निशाना लगा रहे हो।
फरहान का ‘गन जश्न’ तो बहुत ही वीभत्स था।पहलगाम व ऑपरेशन जाए.’ सिंदूर के बाद हालात इतने तनावपूर्ण हैं कि ग्रुप मैच के दौरान भारतीय खिलाड़यों ने पाकिस्तानी खिलाड़यों से परंपरागत हाथ मिलाने से भी इंकार कर दिया था और अगर आईसीसी की प्रतियोगिता न होती तो भारत पाकिस्तान के खिलाफ मैच भी न खेलता।इसके थोड़ी देर बाद पाकिस्तान के तेज गेंदबाज हारिस रौफ ने विकेट लेने के बाद ऐसी नकल उतारी जैसे वह हवाईजहाज को शूट कर रहे हों और फिर उन्होंने 6-0 का संकेत किया, जिसका संदर्भ उन अपुष्ट खबरों की ओर था कि इस साल मई में जो दोनों देशों के बीच चार दिन का सैन्य टकराव हुआ उसमें छह राफेल जहाज गिराए गए थे।उस दिन दुबई में क्रिकेट नहीं बल्कि कुछ और खेल खेला जा रहा था।ये हरकतें बता रही हैं कि मई का सैन्य टकराव उनकी यादों व मनोविज्ञान में बहुत गहराई तक प्रवेश कर गया है।सोशल मीडिया पर ‘मिल्ली क्रॉनिकल’ के संस्थापक जबक तनवीर ने बताया कि फरहान की हरकत गहरी समस्या को प्रतिबिंबित कर रही है।उन्होंने लिखा, ‘दशकों के सैन्यकरण व अतिवाद ने सुनिश्चित किया है कि हिंसा का संस्कृति के रूप में महिमामंडन किया जाएं।
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एशिया कप पहलगाम नरसंहार के बाद दोनों देशों के बीच पहला क्रिकेट मुकाबला है और यह शुरू से ही विवादित रहा है।पहले गेम में पाकिस्तान को बुरी तरह से पराजित करने के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने हाथ नहीं मिलाए।मैच के बाद पुरस्कार वितरण के दौरान कप्तान सूर्य ने पहलगाम नरसंहार के पीड़तिों व उनके परिवारों को याद किया।उससे पहले पाकिस्तान के आल-राउंडर फहीम अशरफ ने ऑपरेशन सिंदूर का मखौल उड़ाते हुए सोशल मीडिया पर निंदनीय पोस्ट डाली थी।स्टेडियम में अब पहले की तरह दर्शक भारत व पाकिस्तान के मैच देखने के लिए नहीं आ रहे हैं, जिनमें नकारात्मक भावनाएं भर गई हैं।पाकिस्तान की टीम इतनी कमजोर हो गई है कि उस पर जीत दर्ज करके अब पहले जैसी खुशी नहीं होती है, विशेषकर इसलिए कि मैच निरंतर एकतरफा हो रहे हैं।पाकिस्तान की क्रिकेट टीम पतन के दौर से गुजर रही है लेकिन मैदान पर बदतमीजी बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए, जिन खिलाड़ियो की हरकतें अंपायर को आक्रामक व भड़काऊ लगती हैं, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।समय आ गया है कि क्रिकेट में भी फुटबॉल की तरह येलो व रेड कार्ड्स का प्रयोग किया जाए.
लेख-नरेंद्र शर्मा के द्वारा