राजनीति में जरूरी वक्तृत्व कला (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, गहरी चिंता का विषय है कि ज्यादा भाषणबाजी करने से हमारे प्रिय नेता का गला बैठ गया।नेता और गायक का गला बिल्कुल दुरुस्त रहना चाहिए।उनके हुनर और रोजी-रोटी का सीधा रिश्ता उनके गले से ही होता है.’ हमने कहा, ‘गला बैठने की इतनी फिक्र न करें।राजनीति में उठना-बैठना चलता ही है।कोई उम्मीदवार पहले चुनाव में खड़ा होता है फिर हाईकमांड का दबाव आने से अचानक नाम वापस लेकर बैठ जाता है।किसी भाषणबाज निकम्मे नेता का गला भरी सभा में बैठ जाता है।गले की अहमियत देखते हुए बंद गले का कोट या जैकेट पहना जाता है।गले के डाक्टर को ईएनटी स्पेशलिस्ट कहा जाता है जो सिर्फ नाम, कान, गले का इलाज करते हैं।इंसान की बॉडी के बाकी अंगों से उन्हें कोई मतलब नहीं होता.’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, राजनीति में गले की बहुत बड़ी भूमिका है।पुष्पहार का धंधा गले की बदौलत चमकता है।बेंगलुरू से हवाई जहाज के जरिए हाथी की सूंड के समान मोटा फूलों का हार लाया जाता है।जनसभा में नेता को यह हार पहनाते समय 4-5 कार्यकर्ता उस हार को पकड़े रहते हैं ताकि कई किलो वजन के हार से नेता की गर्दन न लचक जाए।ऐसी तस्वीरे आपने अखबार या टीवी में देखी होंगी।गले में महिलाएं नेकलेस पहनती हैं।वह हीरे का हो तो और भी अच्छा! हर इंसान को गले में अच्छी तरह साबुन लगाना चाहिए और टेलकम पाउडर छिड़कना चाहिए नहीं तो शर्ट का कॉलर मैला होने में देर नहीं लगती.’
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हमने कहा, ‘भारतीय संस्कृति में गले मिलना आत्मीयता को दर्शाता है।द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण अपने गरीब बाल सखा सुदामा से लपककर गले मिले थे।जब हनुमानजी लंका से सीता की खोज करने के बाद लौटे तो भगवान राम ने उन्हें गले लगा लिया और कहा- तुम मम प्रिय भरत सम भाई! इसी तरह राम ने निषादराज को भी गले लगाया था।लता मंगेशकर के बारे में उस्ताद बड़े गुलाम अली खां ने कहा था कि लता के गले में खुदा बसता है।कुंदनलाल सहगल, मोहम्मद रफी, मुकेश, मन्नाडे, किशोर कुमार, हेमंत कुमार, तलत महमूद के सुरों में गले का ही कमाल था।प्रधानमंत्री मोदी विदेश के सारे नेताओं से गर्मजोशी से गले मिला करते हैं।जहां तक गला बैठने की शिकायत है नमक मिले गुनगुने पानी से गार्गल करो तो गला कभी नहीं बैठेगा!’