(डिजाइन फोटो)
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की बातें कैरम के रिबाउंड जैसी रहती हैं। ऐसा लगता है कि वो किसी को छोड़ते नहीं। बड़े सांकेतिक तरीके से वो अपनी बात कह जाते हैं।’’
हमने कहा, ‘‘आप गलत कह रहे हैं। गडकरी के समान बेधड़क, स्पष्टवादी नेता बीजेपी में दूसरा नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो, विषकन्या होती है। यदि आप उस पर बहुत अधिक निर्भर रहे तो उध्वस्त हो जाएंगे।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पहले तो आप हमें विषकन्या के बारे में बताइए। उसका इतिहास क्या है?’’ हमने कहा, ‘‘चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य की शत्रुओं से सुरक्षा के लिए विषकन्या बनाई थी। उन्हें बचपन से थोड़ा-थोड़ा विष खिलाया जाता है। युवती होने पर वे अत्यंत जहरीली विषकन्या बन जाती हैं। जो उसके थोड़े भी संपर्क में आता है, वह तत्काल काल के गाल में चला जाता है। चाणक्य ने पौरस को विषकन्या के जरिए ही निपटाया था।’’
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पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, गडकरी ने उद्योजकों को सचेत करते हुए कहा कि उन्हें सब्सिडी या अनुदान के पैसे मिलेंगे भी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है क्योंकि सरकार को लाडकी बहीण योजना के लिए पैसे देने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वस्त्रोद्योग से जुड़े लोग मेरे पास आए थे क्योंकि बिजली पर सब्सिडी नहीं मिलने की वजह से उनके उद्योग बंद होने की कगार पर हैं। इन दिनों विभिन्न अनुदान बंद कर दिए गए हैं। इस तरह की बात कहकर गडकरी ने मुफ्तखोरी बढ़ानेवाली योजनाओं की सांकेतिक आलोचना की है।’’
हमने कहा, ‘‘गडकरी के बयान से विपक्ष को बल मिल गया। सुप्रिया सुले ने कहा कि जब यही मुद्दा विपक्ष उठाता है तो उसकी उपेक्षा कर दी जाती है जब वित्त मंत्रालय खैराती योजनाओं पर आपत्ति उठा रहा है तो सरकार को अनावश्यक रूप से करदाताओं के पैसे का इस तरह अपव्यय नहीं करना चाहिए। शिवसेना (उद्धव) के सांसद संजय राऊत ने कहा कि लाडकी बहीण योजना शिंदे सरकार की वोट खरीदी योजना है। विभिन्न महत्वपूर्ण उपक्रमों व योजनाओं का पैसा लाडकी बहीण योजना में हस्तांतरित कर दिया गया है।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, ‘‘सच आखिर सामने आ ही जाता है। इसीलिए शेर लिखा गया है- हकीकत छुप नहीं सकती कभी झूठे उसूलों से, खुशबू आ नहीं सकती कभी कागज के फूलों से!’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा