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मंत्रियों का भारी भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध छात्रों के विरोध प्रदर्शन से सुलगा नेपाल

Nepal Violence: जनरेशन जेड, जिसका आज के आधुनिक युग में ओढ़ना-बिछौना सोशल मीडिया हो गया है, को नेपाल सरकार का यह रवैया पसंद नहीं आया और वह विरोध में हजारों की संख्या में काठमांडू की सड़कों पर उतरी।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Sep 10, 2025 | 01:08 PM

नेपाल में भड़की हिंसा (सौ. डिजाइन फोटो)

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नवभारत डिजिटल डेस्क: केपी शर्मा ओली सरकार ने फेसबुक, यू-ट्यूब, एक्स सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि उन्होंने दी गई एक सप्ताह की अवधि में पंजीकरण नहीं कराया था।जनरेशन जेड, जिसका आज के आधुनिक युग में ओढ़ना-बिछौना सोशल मीडिया हो गया है, को नेपाल सरकार का यह रवैया पसंद नहीं आया और वह विरोध में हजारों की संख्या में काठमांडू व अन्य शहरों की सड़कों पर उतर आई।प्रदर्शनकारियों ने नेपाल की संसद में प्रवेश करने का भी प्रयास किया।उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया जिसमें दर्जनों छात्र हताहत हुए।हालात को नियंत्रित करने के लिए सेना को बुलाना और लगभग 10 जगहों पर कर्फ्यू लगाना पड़ा है, जिनमें बानेश्वर, सिंघादरबार, नारायणहिती और संवेदनशील सरकारी क्षेत्र शामिल हैं।
जबरदस्त विरोध प्रदर्शन को देखते हुए नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से प्रतिबंध हटा लिया है।लेकिन अभी भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।नेपाल सरकार ने 2024 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत पिछले माह नोटिस जारी किया था कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स 28 अगस्त से शुरू होने वाले सप्ताह के भीतर अपना पंजीकरण करा लें ताकि स्थानीय तौर पर एक संपर्क केंद्र स्थापित हो सके, जिससे अधिकारी शिकायतों को सुनें व उनका समाधान करे।लेकिन मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप्प), एल्फाबेट (यू-ट्यूब), एक्स (पूर्व में ट्विटर), रेडिट, लिंकडिन आदि 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में से एक ने भी सात दिन की अवधि में पंजीकरण नहीं कराया।नतीजतन 4 सितंबर को नेपाल सरकार ने इन पर प्रतिबंध लगा दिया।टिकटॉक, वीबर, निमबज व पोपो लाइव सरकार के साथ पंजीकृत हैं, इसलिए उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया था।
टेलीग्राम व ग्लोबल डायरी की अर्जियों पर विचार किया जा रहा है।फिलहाल टेलीग्राम को एक्सेस नहीं किया जा सकता, क्योंकि सरकार का मानना है कि इस प्लेटफार्म का प्रयोग ऑनलाइन फ्रॉड व मनी लॉन्डरिंग के लिए किया जा रहा था।पिछले साल टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसे इस साल अगस्त में पंजीकरण के बाद हटाया गया।सोशल मीडिया के आदी हो चुके युवाओं व छात्रों को जब 3-4 दिन इस तरह से खाली बैठना पड़ा कि न रील्स व वीडियो देख पा रहे थे, न किसी को व्हाट्सएप कर पा रहे थे और न अपना कंटेंट अपलोड कर पा रहे थे कि कुछ कमाई होती, तो वह जनरेशन जेड के बैनर तले एकत्र हुए और उन्होंने प्रतिबंध के विरुद्ध प्रदर्शन किया, जिसमें हिंसा हो गई।रिपोर्टों के मुताबिक नेपाल में लगभग 13.5 मिलियन फेसबुक यूजर और तकरीबन 3.6 मिलियन लोग इंस्टाग्राम पर हैं।
इनमें से अधिकतर अपने व्यापार के लिए सोशल मीडिया के भरोसे हैं।वह प्रतिबंध का विरोध करने लगे।लेकिन यह विरोध प्रदर्शन जल्द ही भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन आंदोलन बन गया।प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नेपाल में भ्रष्टाचार को संस्थागत कर दिया गया है।4 साल में 3 बड़े घोटाले हुए ! मुद्दा केवल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध का नहीं है बल्कि भ्रष्टाचार, नेपाल की बद से बदतर होती अर्थव्यवस्था और तानाशाही नेतृत्व का भी है, जिसकी वजह से नेपाल का युवा गुस्से में है।
ये भी पढ़ें–  नवभारत विशेष के लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें
नेपाल अपने दो पड़ोसियों- भारत व चीन के बीच में सैंडविच बना हुआ है और संतुलन बनाने की कवायद में लगा हुआ है।ओली चीन के उस जश्न में शामिल हुए, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद नहीं थे।नेपाल सरकार घरेलू मुद्दों पर अधिक ध्यान नहीं दे पाती है, क्योंकि अधिकतर संसाधन तो विदेश नीति के प्रबंधन में खर्च हो जाते हैं।ओली नेपाली राजनीति में खुद को सख्त नेता के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं।जनरेशन जेड की परेशानियों को पूर्णतः अनदेखा करते हुए, उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध को राष्ट्रहित के तौर पर पेश करने का प्रयास किया।
लेख- नरेंद्र शर्मा के द्वारा

Nepal is in turmoil due to student protests banning social media

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Published On: Sep 10, 2025 | 01:08 PM

Topics:  

  • Nepal
  • Nepal Violence
  • Special Coverage

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