महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (डिजाइन फोटो)
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा है कि महाराष्ट्र में 26 नवंबर तक नई सरकार का गठन हो जाएगा और राज्य चुनाव के लिए तैयार है। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर तक है। इसके पहले ही 288 सदस्यों का निर्वाचन हो जाएगा। महाराष्ट्र के साथ ही झारखंड विधानसभा का चुनाव होने की संभावना है।
महाराष्ट्र का चुनाव हरियाणा के साथ क्यों नहीं हुआ, यह भी एक पहेली है। महाराष्ट्र का चुनाव देर से कराने का कोई राजनीतिक कारण हो सकता है। संभवत: यह माना गया होगा कि हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजे का अनुकूल परिणाम सत्ताधारी महायुति पर होगा। अगर हरियाणा में बीजेपी जीती तो मोदी को इसका श्रेय देते हुए महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार किया जाएगा।
विकास के लिए डबल इंजन की बात कही जाएगी। इस दौरान महायुति के भीतर मतभेद भी कुछ कम हो जाएंगे। यह भी शंका है कि राज्य में पार्टियों को चुनाव प्रचार करने के लिए 45 दिन का समय मिल पाएगा या नहीं! मतदान होने तक नवरात्रि, दशहरा, दिवाली के त्योहार आएंगे। यदि 20 नवंबर तक चुनाव परिणाम आए तो सरकार गठित करने के लिए सिर्फ 6 दिनों का समय मिल पाएगा।
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इस संबंध में भी चुनाव आयोग को विचार करना होगा। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभाओं की मतगणना 8 अक्टूबर को होगी। इसके बाद ही महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने की संभावना है। अनुमान है कि 10 से 15 नवंबर के बीच महाराष्ट्र में चुनाव कराया जा सकता है। महाराष्ट्र में 9 करोड़ 59 लाख मतदाता हैं और वोटिंग के लिए 1 लाख से अधिक मतदान केंद्र बनाए जाएंगे।
राज्य में जिन अधिकारियों की एक स्थान पर सेवा को 3 वर्ष हो गए है तथा जो अधिकारी अपने गृह जिले में पदस्थ हैं, उनका तबादला करने का निर्देश पहले ही दिया जा चुका है। अभी इस संबंध में आयोग को रिपोर्ट सौंपी नहीं गई है। इस दौरान जब तक आचार संहिता लागू नहीं होती, लोकलुभावन कदम उठाए जाते रहेंगे। ‘लाड़की बहीण’ योजना में भुगतान की तीसरी किस्त जारी करने का आदेश दिया जा चुका है। महायुति नेताओं को उम्मीद है कि इससे महिलाओं के अधिक वोट मिलने में मदद होगी।
इसलिए ऐसा नहीं लगता कि महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अधिकारियों का जल्दी तबादला होगा। इस दौरान शरद पवार ने मांग की है कि अजीत पवार की पार्टी का घड़ी चुनाव चिन्ह फ्रीज कर दिया जाए। शरद पवार की पार्टी को तुरही (तुतारी) चुनाव चिन्ह मिला हुआ है जो महाराष्ट्र के गौरव का प्रतीक माना जाता है। तुतारी और पिपाणी एक जैसे चिन्ह दिखाई देने से गड़बड़ी हो सकती है इसलिए चुनाव आयोग ने पिपाणी चुनाव चिन्ह रद्द कर दिया है जो कि स्वतंत्र चुनाव चिन्ह था। इस निर्णय को अदालत में चुनौती दी गई है चुनाव घोषणा के पूर्व इसका फैसला हो जाना चाहिए।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा