स्थानीय निकाय चुनाव का मार्ग प्रशस्त (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती देनेवाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी।साथ ही यह स्पष्ट कर दिया कि महापालिका, नगरपालिका व जिला परिषद सहित सभी चुनाव 2017 की प्रभाग रचना के मुताबिक होंगे।ओबीसी आरक्षण विवाद पर शीघ्र कोई समाधान नहीं निकल सकता और इसकी वजह से चुनाव रोक रखना कानूनी दृष्टि से सुसंगत नहीं है।न्यायालय ने यही संकेत करते हुए चुनाव कराने का आदेश दिया।वास्तव में अदालत ने ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण पर इस वर्ष 6 मई को मुहर लगाई थी।
अदालत ने कहा था कि बांठिया आयोग के पहले जिस तरह ओबीसी आरक्षण था, वैसे ही लागू रहेगा।इसलिए आरक्षण पर आपत्ति विचारार्थ नहीं ली जा सकती।मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में पिछली सरकार ने 2017 में स्थानीय निकाय चुनाव में नई प्रभाग रचना निर्धारित की थी जिसमें 4 वार्ड मिलाकर एक प्रभाग बनाया गया था।बाद में महाविकास आघाड़ी सरकार ने सत्ता में आते ही उसमें परिवर्तन किया।राज्यों में फिर सत्ता बदल होने पर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने फिर फडणवीस द्वारा तैयार की गई प्रभाग रचना जारी रखने की शुरूआत की।यह सच है कि महायुति के समर्थन से तैयार की गई प्रभाग रचना सत्ताधारियों के लिए अनुकूल है।सुप्रीम कोर्ट के ताजे निर्णय का महायुति द्वारा स्वागत किया जाना स्वाभाविक ही था।
याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि ओबीसी का इम्पिटिकल डेटा उपलब्ध नहीं होने से उन्हें आरक्षण नहीं दिया जाए।यह याचिका ठुकरा दी गई।आरक्षण विवाद का समाधान खोजना होगा।विपक्ष की मांग से सजग हुई सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया।बांठिया आयोग की रिपोर्ट केंद्र सरकार ने अभी तक स्वीकार नहीं की है।इसलिए ‘ट्रिपल टेस्ट’ और आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं देने की सिफारिशें अभी तक लागू नहीं की गईं।इस पर अगले माह सुनवाई होने की संभावना है।इसके पहले सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आ जाने से चुनाव का मार्ग प्रशस्त हो गया।न्यायालय ने 4 महीने में चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया था।यह समयावधि सितंबर में समाप्त हो जाएगी।प्रभाग रचना का काम अभी भी जारी है।
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सभी नगरपालिकाओं को यह प्रक्रिया अक्टूबर तक पूर्ण करने की समय सीमा नगर विकास विभाग ने दी है।प्रभाग रचना पूरी हो जाने पर उसके बारे में सुझाव और आपत्तियों पर विचार किया जाएगा।पर्याप्त चुनाव कर्मी उपलब्ध नहीं होने से राज्य चुनाव आयोग ने यह चुनाव विभिन्न चरणों में कराने का निर्णय लिया है।इस चुनाव में वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।न्यायालय ने पहले का ओबीसी आरक्षण कायम रखा है इसलिए अनेक जिलों में आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा को पार कर जाएगा।इसलिए चुनाव आयोग और सरकार को सतर्कता रखनी होगी स्थानीय निकाय चुनाव में शिवसेना व राकांपा के दोनों ही गुट उतरेंगे।सत्ताधारी महायुति या विपक्षी महाआघाड़ी दोनों को ही अपने उम्मीदवार तय करने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा