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जानिए सावन के महीने में द्वादश ज्योतिर्लिंगों की पूजा का महत्व, भगवान शिव का मिलेगा आशीर्वाद

सावन महीने में 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों की साधना-आराधना का भी महत्व अलग होता है। 12 स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को पवित्र ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। जहां पर पूजा औऱ दर्शन करने से भगवान सबके कष्ट हरकर सुख-समृद्धि देते है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Jul 05, 2024 | 09:48 AM
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जैसा कि, जुलाई महीने में जल्द ही सावन का महीना शुरू होने वाला है जो भगवान शिव की पूजा और महत्व के लिए काफी खास होता है। शिवभक्त इस माह में अपने ईष्ट भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए व्रत और विधि-विधान के साथ पूजा करते है। इस मौके पर 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों की साधना-आराधना का भी महत्व अलग होता है। 12 स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को पवित्र ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। जहां पर पूजा औऱ दर्शन करने से भगवान सबके कष्ट हरकर सुख-समृद्धि देते है। चलिए जानते हैं इन द्वादश ज्योतिर्लिंगों की पूजा का महत्व।

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1-सोमनाथ ज्योतिर्लिंग- भगवान शिव के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में एक पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर है जो गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है। मान्यता है कि शिव के इस पावन धाम पर पूजा करने से साधक के क्षय, कोढ़ आदि रोग दूर हो जाते हैं। इसक उत्पत्ति पौराणिक कथा के अनुसार, जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दे दिया था, तब चंद्रदेव इसी स्थान पर तपस्या करके श्राप से मुक्त हुए थे।

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2-मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग- भगवान शिव के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में एक दूसरा नाम आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का है। यहां पर श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। इस पावन धाम का महत्व खास है।

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3-महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग- भगवान शिव के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरा सबसे खास ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है जिसे एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग कहते है। यहां पर पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते है यहां पर शिव की साधना करने वाले साधक का काल भी कुछ नहीं कर पाता। यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती खास फलदायनी होती है।

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4-ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग -मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के पास ही एक और ज्योतिर्लिंग बेहद खास है जिसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कहते है। यहां पर ज्योतिर्लिंग के पास नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ॐ का आकार बनता है। मान्यता है कि व्यक्ति इस पावन तीर्थ में पहुंचकर अन्नदान, तप, पूजा आदि करता है।

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5- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग- भगवान शिव के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उत्तराखंड में हिमालय की केदार नामक चोटी पर स्थित इस केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की अपनी खासियत है। इसे लेकर पुराणों में इसके महत्व का वर्णन किया गया है। मान्यता है कि कैलाश की तरह भगवान शिव ने केदारनाथ को अत्यधिक महत्व दिया है।

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6- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग- भगवान के छठवें सबसे खास ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर की बात की जाए तो, यह महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। कहा जाता है भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर का वध करने के बाद उसी स्थान पर विश्राम किया था। जिस सह्याद्रि पर्वत पर भगवान भीमशंकर विराजमान हैं, उसी से भीमा नदी निकल कर बहती है।

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7- बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग - भगवान शिव के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा विश्वनाथ का यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश की धार्मिक राजधानी वाराणसी शहर में स्थित है। इसे लेकर मान्यता है कि,प्रलय आने पर जब सारी धरती के डूब जाने के बावजूद यह स्थान बना रहता है क्योंकि इसकी रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं। इतना ही नहीं प्रलय के समय भगवान शिव इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं।

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8- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग-भगवान शिव के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से महाराष्ट्र के नासिक में स्थित यह खास त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है। कहते हैं यहां पर कुंभ का मेला लगता है तो इसकी खासियत में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। गौतम ऋषि के कहने पर यहां गोदावरी नदी प्रवाहित होती है।

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9-वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग- भगवान शिव के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर है जो झारखण्ड राज्य के संथाल परगना में जसीडीह रेलवे स्टेशन के करीब स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को चिताभूमि कहा गया है। श्रावण मास में यहां लाखों की संख्या में शिवभक्त जल चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं।

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10-नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - भगवान शिव के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक गुजरात के बड़ौदा के गोमती द्वारका के करीब स्थित यह खास ज्योतिर्लिंग है। इसे लेकर पुराणों में कहा गया है कि, भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है और नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर। द्वारका पुरी से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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11- रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग - भगवान शिव के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथम् नामक स्थान में स्थित है। इसे रामेश्वरतीर्थ को ही सेतुबन्ध तीर्थ कहा जाता है तो वहींशिव का पावन धाम होने के साथ-साथ यह हिंदुओं के चार प्रमुख धामों में से एक स्थान है। कहा जाता है कि, इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। इस वजह से इस ज्योतिर्लिंग का नाम रामेश्वरम् हो गया।

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12- घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग - भगवान शिव के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में यह अंतिम ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर है जो महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। इसे घृष्णेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। इस जगह को ‘शिवालय’ भी कहा जाता है।

Know the importance of worshiping twelve jyotirlingas in the month of sawan

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Published On: Jul 05, 2024 | 09:48 AM

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