मन की बात बड़ी ही सलोनी (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, मन तो हर किसी का होता है लेकिन मन की बात सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी कह पाते हैं। अभिनेत्री मीनाकुमारी ने गाया था- मेरी बात रही मेरे मन में, कुछ कहना सकी उलझन में, मेरे सपने अधूरे, हुए नहीं पूरे आग लगी जीवन में! जब फिल्मी हीरो पलायनवादी हो जाता है तो गाता है- दुखी मन मेरे सुन मेरा कह ना, जहां नहीं चैना वहां नहीं रहना!’ हमने कहा, ‘मन समस्त इंद्रियों का स्वामी है। सुख और दुख दोनों मन की उपज हैं। मन के हारे हार है, मन के जीते जीत!
पंजाबियों में मनजीत सिंह और मनजीत कौर जैसे नाम हुआ करते हैं। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. मनमोहन सिंह अपने मन की बजाय सोनिया गांधी की मर्जी से यूपीए सरकार चलाया करते थे।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, पूर्व पीएम की बजाय वर्तमान प्रधानमंत्री के बारे में चर्चा कीजिए। पिछले 11 वर्षों से मोदी अकेले अपने मन की बात कह रहे थे लेकिन अब उन्होंने बताया कि इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने भी अपनी आत्मकथा ‘आईएम जॉर्जिया’ में अपने मन की बात लिखी है। इस तरह दुनिया में मन की बात कहनेवाले एक से भले दो लोग हो गए! इंडिया में मोदी और इटली में मेलोनी! अनेक विश्व नेताओं की तरह मेलोनी से भी मोदी का मेलजोल होता रहा है। इसलिए मेलोनी की आत्मकथा की प्रस्तावना मोदी ने लिखी।’
हमने कहा, ‘अच्छा हुआ कि मनमौजी ट्रंप ने यह प्रस्तावना नहीं लिखी वरना इस पुस्तक के अमेरिका आयात पर टैरिफ लगाने की बात लिख देते। एक मुद्दा यह भी है कि जॉर्जिया मेलोनी ने अपनी आत्मकथा की प्रस्तावना सोनिया गांधी से क्यों नहीं लिखवाई? सोनिया भी जन्म से इटालियन हैं। वह इटालियन भाषा में लिखी मेलोनी की किताब मूल रूप से पढ़ सकती थीं। उनके संवेदना के तार भी एक-दूसरे से जुड़ सकते थे। एक नारी ही दूसरी नारी के मन और भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ सकती थी। मेलोनी ने अपनी किताब में सही लिखा है कि इंडिया और इटली दोनों देशों के बीच संबंध काफी मजबूत हैं।’
ये भी पढ़ें– नवभारत विशेष के लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, केवल औपचारिक संबंध नहीं बल्कि सीधी रिश्तेदारी है। राजीव गांधी ने सोनिया से शादी कर भारत-इटली रिश्ते को मजबूत बनाने की नींव रखी थी। राहुल गांधी भी समय-समय पर अपने ननिहाल इटली जाते रहते थे। इटली में रोम है तो हमारे यहां रोम-रोम में बसनेवाले राम हैं। इटली में माफिया है तो हमारे यहां भी कोल माफिया, भूखंड माफिया, रेत माफिया, अपहरण व फिरौती वसूली माफिया देखे जाते हैं। इटली का पास्ता व पिज्जा इंडिया में भी लोकप्रिय हो गया है।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा