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विधानसभा चुनाव के बाद अब क्या फिर उभरेगा धारा 370 का मुद्दा?

हाल में सम्पन्न जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में धारा 370 की पुनर्बहाली को लेकर एक पीडीपी को छोड़कर लगभग सभी गैरभाजपाई राजनीतिक पार्टियां भी अपने अपने तरीके से धारा 370 को फिर से बहाल करने को लेकर सीधे सीधे तौरपर कुछ भी कहने से बचती रही हैं।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Oct 14, 2024 | 03:57 PM

उमर अब्दुल्ला (डिजाइन फोटो)

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हाल में सम्पन्न जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में धारा 370 की पुनर्बहाली को लेकर एक पीडीपी को छोड़कर लगभग सभी गैरभाजपाई राजनीतिक पार्टियां भी अपने अपने तरीके से धारा 370 को फिर से बहाल करने को लेकर सीधे सीधे तौरपर कुछ भी कहने से बचती रही हैं। वो सत्ता में आएंगी तो फिर से जम्मू कश्मीर में धारा 370 लागू करेंगी या इसके लिए आंदोलन करेंगी। मीडिया घूम फिरकर इसी बात को हर हाल में जानने की कोशिश में रही है कि अब जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है तो धारा 370 को लेकर उनका क्या विचार है?

उमर अब्दुल्ला बहुत सावधानी से न सिर्फ विधानसभा चुनाव के पहले बल्कि उसके दौरान भी और अब चुनावों के करीब एक हफ्ते बाद तक भी, एक बार भी यह नहीं कह रहे कि वह संविधान के अनुच्छेद 370 को फिर से पहले के स्तर पर बहाल करवाने की कोशिश करेंगे। विधानसभा चुनाव नतीजों के आने के बाद से अब तक वह कई बार बहुत स्पष्ट तौरपर कह चुके हैं, ‘हमने कभी ये नहीं कहा कि हम अनुच्छेद 370 पर खामोश रहेंगे या 370 हमारे लिए मुद्दा नहीं रहा। लेकिन हम लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए तैयार नहीं हैं।

इसलिए कोई भी राजनीतिक पार्टी जिसे अपने भविष्य की जरा भी फिक्र है, वह इस ज्वलनशील मुद्दे पर बिल्कुल हाथ नहीं लगायेगी, क्योंकि भले इस अनुच्छेद का संवैधानिक प्रभाव क्षेत्र जम्मू कश्मीर तक ही सीमित हो, लेकिन इसका राजनीतिक प्रभाव पूरे देश में फैल चुका है।

सभी राजनीतिक पार्टियां जिन्हें कश्मीर के बाहर भी अपना राजनीतिक भविष्य देखना है इस पर बात भी करने से कतराएंगी। नेशनल कॉन्फ्रेंस जानती हैं कि उसकी सहयोगी देश की दूसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी कांग्रेस है और फारूख अब्दुल्ला तथा उमर अब्दुल्ला का राजनीति में एक राष्ट्रीय व्यक्तित्व भी है। इसलिए भले चुनाव के दौरान फिर भी एक लंबी रणनीतिक चुनौती के तौरपर इसका बार बार जिक्र होता रहा हो, लेकिन अब नेशनल कॉन्फ्रेंस इसके जिक्र और इसकी पुनर्बहाली के किसी भी तरह के ऐसे वायदे से बचेगी, जिसको लेकर उसके विरोधी उसे तथा कांग्रेस को देश के किसी भी कोने में घेरें।

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मौके की ताक में भाजपा

भाजपा तो मन ही मन यह मनायेगी कि नेकां और कांग्रेस जोर शोर से पूरे देश में धारा 370 की निरस्ती को लेकर आंदोलन चलाएं और भाजपा इन दोनों को जनता की अदालत के कटघरे में खड़ा करे तथा साबित करे कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ कांग्रेस भी कितनी देशविरोधी पार्टी है? कांग्रेस इस बात को समझती है,इसलिए राहुल गांधी ने भी चुनाव के दौरान यह कतई नहीं कहा कि उनकी पार्टी चुनाव जीतने पर धारा 370 को फिर से बहाल कर देगी।

अभी भी लागू

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था और प्रदेश को जम्मू कश्मीर और लद्दाख नाम के दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि अनुच्छेद 370ए एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने का आधार था। लोग यह मानते हों कि अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर से पूरी तरह से हट चुका है, लेकिन हकीकत यह है कि इस अनुच्छेद का खंड-1 अब भी लागू है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी खुद कह चुके हैं कि 370 खंड-1 अब भी कायम है।

सारे प्रावधान निरस्त

अनुच्छेद 370 का जो हिस्सा अब पूरी तरह से खत्म हो चुका है,वह इसके विशेष प्रावधानों वाला हिस्सा था। जैसे- जम्मू कश्मीर को मिला विशेष स्वायत्त राज्य का दर्जा, संसद के पास इसे लेकर कानून बनाने के सीमित अधिकार, जम्मू कश्मीर के नागरिकों की दोहरी नागरिकता, जम्मू कश्मीर का अलग संविधान और अलग झंडा होना, विधानसभा का कार्यकाल 5 की बजाय 6 साल का होना और न तो आरक्षण और न ही न्यूनतम वेतन कानून का लागू होना। ये सारे प्रावधान अब निरस्त हो चुके हैं।

मुख्य बात यह है कि भले जम्मू कश्मीर में भाजपा सरकार न बना पाई हो लेकिन राजनीति अभी भी इतनी आसान या श्याम-श्वेत नहीं हुई कि दोनो वैचारिक समूह अनुच्छेद 370 को लेकर एक दूसरे के धुर विरोधी बातें कह और कर सकें। इसलिए भले कितनी ही चर्चा हो, लेकिन आने वाले दिनों में अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली का मुद्दा फिर से भारतीय राजनीति का एपिसेंटर नहीं बनेगा।

लेख- लोकमित्र गौतम द्वारा

Issue of article 370 will be raised once again in jammu and kashmir

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Published On: Oct 14, 2024 | 03:57 PM

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