बाबा सिद्दीकी (डिजाइन फोटो)
चुनाव से पहले बाबा सिद्दीकी जैसे प्रभावी नेता की सनसनीखेज हत्या ने न केवल राजनीति में भूचाल ला दिया है बल्कि यह फुसफुसाहट भी होने लगी है कि क्या मुंबई में फिर से अंडरवर्ल्ड उभर रहा है। जियाउद्दीन बाबा सिद्दीकी पूर्व विधायक व महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे थे। उन्होंने हाल ही में कांग्रेस छोड़कर अजीत पवार की एनसीपी की सदस्यता ग्रहण की थी। वैसे उनके हर पार्टी में गहरे संबंध थे और उनकी इफ्तार पार्टियों में बॉलीवुड का हर प्रमुख चेहरा शामिल होता था।
पुलिस ने पकड़े गए संदिग्ध हत्यारों की रिमांड की मांग करते हुए अदालत से कहा है कि चूंकि महाराष्ट्र में चुनाव जल्द होने वाले हैं इसलिए वह यह जांच करना चाहती है कि हत्या का कारण कहीं राजनीतिक प्रतिद्वंदिता तो नहीं है। वैसे इस हत्याकांड ने मुंबई की उन घातक यादों को फिर से जिन्दा कर दिया है, जब पूरी महानगरी गैंग वॉर की चपेट में रहती थी।
पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या वास्तव में इस हत्याकांड में बिश्नोई गैंग का ही हाथ है, जैसा कि एक फेसबुक पोस्ट में दावा किया गया है? यह इसलिए भी चिंताजनक होगा कि अगर राजनीतिक सांठ-गांठ के साथ मुंबई में गैंगस्टर्स एक बार फिर से राज करने लगते हैं, तो देश के 2047 तक विकसित भारत संबंधी लक्ष्य पर असर पड़ेगा, क्योंकि मुंबई कोई सामान्य शहर नहीं बल्कि देश की वित्तीय राजधानी है।
बाबा को ‘वाय’ कैटेगिरी की सुरक्षा मिली हुई थी। यह कैसी सुरक्षा थी कि सुरक्षाकर्मियों की आंखों में धूल झोंककर हत्या कर दी जाती है? बाबा के तीन में से दो हत्यारे (धर्मराज कश्यप व शिव कुमार गौतम) बहराइच के कैसरगंज में गंदारा गांव के हैं और पड़ोसी हैं। इनमें से एक खुद को नाबालिग़ बताता है, इसलिए अदालत ने उसकी हड्डी जांच कराने का आदेश दिया है ताकि उसकी सही आयु मालूम हो सके। तीसरा हत्यारा 23 वर्षीय गुरमेल सिंह हरियाणा का है और उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है। उसने 2019 में अपने कजन की हत्या की थी।
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धर्मराज व शिव कुमार 18-19 साल के हैं और पुणे में स्क्रैप का काम करते थे। इन तीनों संदिग्धों की बाबा से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी। जांच से ही हत्या करने का उद्देश्य सामने आ सकता है और यह भी कि क्या इसमें कोई राजनीतिक एंगल भी है? यह संभव है कि इन हिटमेन का संबंध लॉरेंस बिश्नोई से ही हो और उसने ही इन्हें आधुनिक हथियार उपलब्ध कराये हों, लेकिन यह थ्योरी हजम नहीं की जा सकती है कि बाबा को इसलिए मारा गया क्योंकि वह एक्टर सलमान खान के दोस्त थे। इस थ्योरी से तो सलमान खान के हर दोस्त की जान खतरे में आ जायेगी। उल्लेखनीय है कि कुछ माह पहले सलमान खान के घर पर गोलियां चलायी गईं थीं।
मुंबई के लिए शूटआउट्स का होना या राजनेताओं की हत्याएं होना कोई अनोखी बात नहीं है। भले ही जांच से यह मालूम हो कि हत्या या उसके समय का सीधे तौर पर कोई चुनावी मकसद नहीं था। सभी पार्टियों के आपराधियों से संबंध रहे हैं। अब 1990 का मध्य फिर चर्चा में आ गया है, जब मुंबई के कम से कम तीन चुनावी क्षेत्रों में डॉनों का दबदबा था- उत्तर पूर्व मुंबई में छोटा राजन, दक्षिण मुंबई में छोटा शकील और दक्षिण केंद्र में अरुण गवली। लेकिन यह सही अनुमान लगा लिया गया था कि अंडरवर्ल्ड द्वारा राजनीतिक वर्ग पर हमले का दौर खत्म होता जा रहा है। इसलिए नहीं कि माफिया को खत्म किया जा रहा था बल्कि इसलिए भी कि नेताओं और निहित स्वार्थों ने एक तरह से साझा मैदान तलाश लिया था।
यह बात डराती है कि वाय-सुरक्षा होने के बावजूद बाबा की हत्या हो गई। पैदल हत्यारों ने आसानी से सुरक्षा कवच को भेद दिया। चुनाव के समय पुनर्विकास प्रोजेक्ट्स फोकस में हैं। धारावी का पुनर्विकास प्रोजेक्ट पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपनी चुनावी उम्मीदें लगाये हुए हैं। बाबा की 2018 में ईडी जांच हुई थी और पीएमएलए के तहत उनकी 462 करोड़ रूपये की सम्पत्ति जब्त कर ली गई थी, इस आरोप में कि महाराष्ट्र हाउसिंग बोर्ड का चेयरमैन रहते हुए उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग किया था। फरवरी में वह अजीत पवार गुट में शामिल हो गए थे और कांग्रेस ने उनके विधायक बेटे को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निलम्बित कर दिया था।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा