भारत तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की हरकतें ऐसे बिगड़ैल बच्चे के समान होती जा रही हैं जो अपनी जिद पूरी न होने पर चीखता-चिल्लाता और हाथ-पैर पटकता है।उनकी यह टिप्पणी कि भारत और रूस दोनों देश अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाओं के साथ डूब सकते हैं, अत्यंत अपमानजनक और गैरजिम्मेदाराना है।यह एक दिग्भ्रमित या फ्रस्टेटेड राजनेता की नकारात्मक सोच है।ट्रंप को समझ लेना चाहिए कि कौए के कोसने से आसमान नहीं गिरा करता।भारत तेजी से विकसित हो रही विश्व की प्रमुख गतिशील इकोनॉमी है जिसने ब्रिटेन को भी पीछे छोड़ दिया है।विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत की जीडीपी विकास दर 6.3 फीसदी होने का अनुमान लगाया है।
एशियाई विकास बैंक ने भी 6.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान जाहिर किया है।भारत में कार्यक्षम युवा आबादी की औसत आयु 28.8 वर्ष है जबकि अमेरिका में 38.5 वर्ष है।इस लिहाज से जवान सक्रिय वर्क फोर्स या कार्यबल के मामले में भारत बेहतर स्थिति में है।भारत में प्रचुर मानव संसाधनों के अलावा तकनीक में कुशल युवा भी बड़ी तादाद में हैं जो अंतरिक्ष, एआई आदि क्षेत्रों में सक्रिय रहकर देश की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में लगे हैं। इकोनॉमी को यही आगे बढ़ाते हैं।ट्रंप को याद दिलाना होगा कि 2008 में जब अमेरिका मंदी की चपेट में था तब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने उस समय के भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से पूछा था कि आपने भारत को मंदी से कैसे बचाया।इसी तरह कोविड महामारी के समय हमारा भारत ही विश्व की फार्मेसी बन गया था।भारत को कम आंकना मूर्खतापूर्ण है।
यह शेर के समान दहाड़नेवाला देश है और आबादी के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।यहां के परिश्रमी किसान-मजदूर इसकी बुनियादी ताकत रहे हैं।हमारी अर्थव्यवस्था में बचत का संस्कार भी शामिल है।हर घर में गृहिणियों के पास कुछ न कुछ स्वर्णाभूषण रहते हैं।वह भविष्य की जरूरतों का ध्यान रखकर कुछ पैसा भी बचाती हैं।अमेरिका की इकोनॉमी पूरी तरह उपभोग प्रधान है।हर अमेरिकी क्रेडिट कार्ड का बेफिक्री से इस्तेमाल करता है।उसका कर्ज कम होने की बजाय बढ़ता ही जाता है।ट्रंप की असली नाराजगी ब्रिक्स को लेकर है।ब्राजील, रूस, भारत, चीन व द।अफ्रीका का यह संगठन कहीं डॉलर की बजाय अपनी मुद्रा में आपसी व्यापार न करने लगे।भारत और रूस के आपसी सहयोग से ट्रंप को मिर्ची लगती है।
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वह इस बात से खफा है कि भारत रूस से तेल क्यों खरीदता है।ट्रंप के टैरिफ झटके से भारत पर आसमान नहीं टूट पड़ा।शेयर मार्केट पर भी इसका खास असर नहीं पड़ा।ट्रंप पाकिस्तान की ओर झुकाव दिखा रहे हैं जो खुद ही कंगाल है।वजह यह है कि पाकिस्तान ने शांति के नोबल प्राइज के लिए ट्रंप के नाम की सिफारिश की है।ट्रंप दबाव नीति अपना रहे हैं।1998 में भी जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया था तब अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगाए थे।भारत को दृढ़ता दिखानी चाहिए और राष्ट्रहित के अनुरूप निर्णय लेना चाहिए।पाकिस्तान की बात अलग है जो अमेरिका का हमेशा से पिछलगू रहा है।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा