
सड़क दुर्घटना (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: अत्यंत चिंता की बात है कि सड़क दुर्घटनाओं में होनेवाली मौत के मामले में भारत विश्व में सबसे आगे है। देश में 2023 में 4.8 लाख रोड एक्सीडेंट हुए जिनमें 1.72 लाख लोग जान गंवा बैठे। हर घंटे में 55 दुर्घटनाएं व 20 लोगों की मौत हुई। 2022 के आंकड़ों से तुलना करें तो दुर्घटनाओं में 4.2 प्रतिशत तथा मौत के आंकड़ों में 2.6 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
2022 में 4.61 लाख सड़क दुर्घटनाओं में 1.68 लाख लोग मारे गए थे। यद्यपि अभी सड़क परिवहन और महामार्ग मंत्रालय ने अपनी 2023 की रिपोर्ट जारी नहीं की है लेकिन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार दुर्घटनाओं में लगभग 10,000 नाबालिगों को जान से हाथ धोना पड़ा। लगभग 35,000 पैदल चलनेवाले दुर्घटनाओं में मारे गए। इसका मतलब यह हुआ कि आज के व्यस्त यातायात में पैदल चलना खतरे से खाली नहीं है।
फुटपाथों पर अतिक्रमण होता है टूटी फूटी हालत में रहते हैं। ऐसे में सड़क किनारे चलनेवाले लोग किसी वाहन की चपेट में आ जाते हैं। हेलमेट नहीं पहनने से सिर में लगी चोट के कारण 1 वर्ष में 54,000 लोग मारे गए। सीट बेल्ट नहीं लगाने से 16,000 लोगों की जान गई। ओवरलोड वाहनों की वजह से 12,000 लोगों की मौत हुई। बगैर वैध लाइसेंस गाड़ी चलानेवाले 34,000 लोग एक्सीडेंट में जान गंवा बैठे।
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ऐसे पुराने वाहन भी दुर्घटना की वजह बनते हैं जिनमें समय पर ब्रेक नहीं लग पाते। सड़क दुर्घटना में देश में सबसे ज्यादा मौत यूपी में होती है। वहां 44,000 रोड एक्सीडेंट हुए जिनमें 23,650 लोगों की जान गई। 18 वर्ष से कम आयु के 1,800 लोग मारे गए। 10,000 पैदल चलनेवालों व दुपहिया चालकों की मौत हुई। राज्य सरकारों से कहा गया है कि पाठ्यक्रम में यातायात नियमों को शामिल किया जाए।
वाहन निर्माता कंपनियों से आटोमोबाइल इंजीनियरिंग में सुधार करने को कहा गया है। प्रयास किए जा रहे है कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जाए। सड़कों पर गड्ढे या ऊबड़खाबड़ होना भी दुर्घटना की बड़ी वजह है। दुर्घटना स्थलों या ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त करने के लिए राष्ट्रीय महामार्ग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं।
कितने ही अंडरपास में पानी भर जाता है और बिजली की रोशनी नहीं रहती। इसलिए दुर्घटना का खतरा बना रहता है। फूट ओवरब्रिज की कमी भी गंभीर समस्या है। लोग रास्ता पार करते समय तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आ जाते हैं। सिग्नल लाल होने पर भी गाड़ी भगानेवाले खुद की जान को खतरे में डालते हैं। राष्ट्रीय महामार्ग के अलावा राज्यों व जिलों की सड़कों तथा सर्विस रोड पर भी दुर्घटनाएं होती हैं। इन्हें टालने के लिए सावधानी बरतनी आवश्यक है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा






