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नवभारत डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, मौसम के मिजाज को लेकर आपकी क्या राय है? यह मौसम सुहाना है या जालिम है?’’ हमने कहा, ‘‘ठंड का मौसम अपने साथ फैशन का अंदाज लेकर आता है। लोग स्वेटर, कार्डिगन, शाल पहनकर निकलते हैं। कुछ लोग अपनी शादी के समय का सूट निकालकर पहन लेते हैं। एक समय लोग टाई की डबल नॉट बांधते थे लेकिन अब टाई पहनना आउट आफ फैशन हो गया। अमेरिका में भी टाई का रिवाज खत्म सा हो गया। सिर्फ अमेरिका के नए राष्ट्रपति ट्रम्प लाल टाई पहनते हैं जो उनका स्टाइल स्टेटमेंट है। आप भी मफलर गले में डाल लीजिए और मंकी कैप पहनिए जो आपके चेहरे पर जंचेगी।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, ठंड के मौसम में जल्दी थकावट नहीं लगती। एनर्जी बनी रहती है। यदि इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति का कहना मानें तो इंसान 12 घंटे रोज काम कर सकता है। इस मौसम में व्यायाम करने या जिम जाने से सेहत बनती है। मार्निंग वाक से आदमी तरोताजा महसूस करता है। इस मौसम में मेवा खाना चाहिए। आप चाहें तो गुलाम अली की गजल सुनते हुए गजक खा सकते हैं। डाक्टरों के लिए मौसम फायदे का है क्योंकि सर्दी-जुकाम, खांसी, दमा, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया के मरीज आते हैं। रामायण काल में खर-दूषण थे जबकि इस समय दिल्ली का प्रदूषण जानलेवा बन गया है। वहां सांस लेना दूभर है।’’
हमने कहा, ‘‘एक बात का ध्यान रखिए कि मौसम कभी भरोसेमंद नहीं होता फिर भी अमेरिका में लोग टीवी पर विस्तार से बताया जानेवाला मौसम का हाल जानने के बाद घर से बाहर निकलते हैं। इन दिनों अमेरिका ठंड की चपेट में है। जमकर स्नोफाल हो रहा है। बच्चे स्नोमैन बना रहे हैं। क्रिसमस ट्री सजा रहे हैं।’’
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पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, अपनी फिल्मों में भी मौसम को महत्व दिया गया है। आपने गीत सुना होगा- एक बरस में मौसम चार, पांचवां मौसम प्यार का, इकरार का! एक फिल्म में शशिकपूर को गाते दिखाया गया था- नी सुलताना रे प्यार का मौसम आया, हाय रे हरी-हरी छाया! धर्मेंद्र ने मौसम की तासीर को पहचानते हुए गाया था- आज मौसम बड़ा बेईमान है आज मौसम!’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा