महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, अपनी संस्कृति में दान-पुण्य का बड़ा महत्व है। आपके बाएं हाथ की तर्जनी पर लगी अमिट स्याही को देखकर हम समझ गए कि आपने मतदान किया। आपने अपना कर्म पूरा किया, अब फल की चिंता मत कीजिए क्योंकि फल तो बाजार से खरीदकर भी खाए जा सकते हैं।’’
हमने कहा, ‘‘वोट तो आपने भी दिया। अब यह बताइए कि आपका वोट कैसा था? पाजिटिव या निगेटिव? वह स्थिरता के लिए था या बदलाव के लिए? आपका वोट निष्पक्ष था या किसी दबाव-प्रभाव में आकर आपने वोट दिया? आपके वोट में भगवे की छटा थी या तिरंगे की शान? कहीं आपने निर्दलीय के दलदल में तो अपना वोट नहीं डाल दिया।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हम यह सब आपको नहीं बताएंगे क्योंकि गुप्त दान काफी महत्व रखता है और हमारा मत गुप्त था। हमारे दिल-दिमाग ने संकेत दिया और उंगली ने ईवीएम का बटन दबाया। इस तरह देखते ही देखते हो गया मतदान! राजतंत्र में शासक का जन्म राजमाता के गर्भ से होता था लेकिन लोकतंत्र में ईवीएम से विधायक, सांसद की पैदावार होती है। ऐसे भी महान नेता होते हैं जिन्हें अचानक दिव्य आत्मानुभूति होती है और वे कहने लगते हैं कि मैं तो बायोलाजिकल हूं ही नहीं! मेरा विशिष्ट कार्य या मिशन के लिए अवतार हुआ है! नेता की पूरी पार्टी और भक्तजन इस बयान पर आंख मूंदकर विश्वास कर लेते हैं।’’
निशानेबाज के और लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हमने कहा, ‘‘आप हमारे मूल प्रश्न को टाल गए? साफ शब्दों में बताइए कि क्या आपकी मति ने युति को वोट डालने के लिए प्रेरित किया अथवा आघाड़ी के समर्थन में आपकी गाड़ी चल पड़ी? आप हमें न भी बताएं तो एग्जिट पोल से संकेत मिल ही जाएगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा?’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, ऊंट राजस्थान में चलते हैं। महाराष्ट्र में ऊंट का क्या काम? हमने वोट देकर लोकतंत्र के परम पवित्र कुंड में आहुति डाल दी। वोट देने का मतलब होता है- नेकी कर दरिया में डाल! वोटों की गिनती के बाद जो परिणाम आना होगा, वह आकर रहेगा! आम खाने से मतलब पेड़ गिनने से क्या लाभ! चुनावी टूर्नामेंट में कौन चैंपियन साबित होता है, यह जल्द ही पता चल जाएगा। कुछ लोग तो शुरूआती रुझान अपने पक्ष में आता देखकर लड्डू बांटना शुरू कर देते हैं लेकिन मतगणना के बाद के राउंड में पिछड़ जाते हैं। अभी तो हालत यह है कि वोट गया ईवीएम के अंदर, जो जीता वही सिकंदर!’’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा