भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: भारत और इंग्लैंड के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता हो गया। दोनों ही देशों को इस समझौते से बहुत फायदा होगा। अंतिम रूप से यह समझौता तब लागू होगा, जब अगले छह महीने या एक साल के भीतर ब्रिटिश संसद इस एग्रीमेंट को अपनी सहमति प्रदान कर देगी। मुक्त व्यापार समझौता एक ऐसा व्यापारिक रिश्ता होता है, जो दो देशों या दो से अधिक देशों के बीच आपस में सामान और सेवाओं के व्यापार को आसान बनाने के लिए होता है। इसके तहत संबंधित देशों के बीच कम से कम टैक्स या बिल्कुल ही टैक्स न लगाने की सहमति होती है। इस समझौते से दोनों देशों की कंपनियों, व्यापारियों और लोगों को फायदा होता है। क्योंकि इससे सामान सस्ते होते हैं, जिस कारण उनकी बिक्री बढ़ती है।
इस समझौते में शामिल देश व्यापार को आसान बनाने के लिए टैरिफ, कोटा, सब्सिडी जैसी बाधाओं या रुकावटों को खत्म करते हैं। समझौते में शामिल देश एक दूसरे पर बिल्कुल जीरो टैक्स कर देते हैं या फिर बहुत मामूली टैक्स लगाते हैं। 2024 में भारत और ब्रिटेन के बीच 4.6 लाख करोड़ रुपये का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था, जिसमें भारत द्वारा 2.75 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था और ब्रिटेन का निर्यात 1.85 लाख करोड़ रुपये का था। इस तरह पिछले साल ब्रिटेन को 90,700 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। एफटीए से भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और उम्मीद है कि कई लाख नये रोजगार भी पैदा होंगे।
इस व्यापार समझौते के साथ भारत और इंग्लैंड ने 2035 तक के एक साझे विजन पर भी सहमति व्यक्त की है। दोनों देशों ने मिलकर इंडिया-यूके विजन-2035 तय किया है, जिससे अगले 10 सालों तक दोनों देशों के संबंधों को दिशा मिलेगी। इस विजन के तहत आर्थिक विकास, तकनीक, रक्षा, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा और लोगों के बीच संपर्क जैसे कई मुद्दों पर मिलकर दोनो देश काम करेंगे। भारत और ब्रिटेन की रक्षा कंपनियों में साथ मिलकर काम करने की सहमति बनी है और इसके लिए भी अलग से रोड मैप तैयार किया गया है। भारत की जांच एजेंसी सीबीआई और ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी के बीच भी एक समझौता हुआ है, जिससे ये दोनों एजेंसियां एक दूसरे के यहां आपराधिक जांच में सहयोग करेंगी।
भारत से बड़ी संख्या में अपराध करके अपराधी ब्रिटेन भाग जाते हैं और पकड़ में नहीं आते, कई बार तो कभी भी इन्हें कानून के दायरे में नहीं लाया जा पाता। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इस समझौते से भारत से होने वाले 99 प्रतिशत निर्यात पर टैरिफ यानी आयात शुल्कों में राहत मिलेगी। इस समझौते के बाद भारत में ब्रिटिश व्हिस्की, इंग्लैंड की कारें और कई दूसरे उत्पाद 15 फीसदी तक सस्ते हो जाएंगे, जिस कारण दोनों देशों के बीच हर साल करीब 3 लाख करोड़ रुपये का व्यापार बढ़ेगा और 5 साल में मौजूदा व्यापार दोगुने से भी ज्यादा हो जायेगा। इस समझौते के बाद भारत में ब्रिटिश कारों के चहेतों को जगुआर, लैंडरोवर, सस्ते दामों में मिलेंगी। व्हिस्की के कद्रदानों को भी फायदा होगा, क्योंकि उन्हें भी अब यह पहले से सस्ती मिलेगी।
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हां, यह जरूर है कि इस समझौते के कारण ब्रिटेन से आने वाली स्कॉच व्हिस्की और वाइन भारतीय व्हिस्की निर्माताओं के लिए प्रतिस्पर्धा कड़ी कर देंगे, लेकिन इससे अंततः उपभोक्ताओं का ही फायदा होगा। ब्रिटेन से आने वाले ब्रांडेड कपड़े, फैशन प्रोडक्ट, होम वेयर, क्लासिक फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक और इंडस्ट्रयल मशीनरी भी अब 3 से 15 फीसदी तक सस्ती हो जाएंगी, तो ब्रिटिशवासियों को भी इस समझौते के बाद भारत के रत्न और आभूषण पहले से सस्ते मिलेंगे। नतीजतन अपने यहां से इंग्लैंड को रत्न और आभूषणों का निर्यात बढ़ेगा और सूरत तथा मुंबई में इस उद्योग से जुड़े हजारों नये लोगों को रोजगार मिलेगा।
भारत से ब्रिटेन को जो चीजें विशेष तौर पर निर्यात होती हैं, उनमें हैं- रेडिमेड कपड़े, रत्न और आभूषण, केमिकल्स, आटो पार्ट्स, खिलौने और समुद्री उत्पाद। जबकि ब्रिटेन से जो चीजें अपने यहां आयात की जाती हैं, उनमें मेडिकल डिवाइसेस, कॉस्मेटिक, व्हिस्की, सैलमन मछली, मटन और बिस्कुट शामिल हैं। भारत के कुल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ब्रिटेन की अभी तक हिस्सेदारी 2 फीसदी तक है, जिसके अगले पांच वर्षों में बढ़कर 5 फीसदी तक होने की संभावना है।
लेख-वीना गौतम के द्वारा