नेशनल हेराल्ड मामला (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया है। यह गांधी परिवार ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के लिए बड़े राजनीतिक संकट की घड़ी है। सवाल है कि यह न्याय का मामला है या राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई है? पिछले 9 दशकों से कांग्रेस पार्टी, स्वाधीनता संघर्ष व नेशनल हेराल्ड का अटूट संबंध रहा। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा 1938 में शुरू किया यह पत्र एसोशिएटेड जर्नल्स लि। (एजीएल) कंपनी की ओर से प्रकाशित किया गया। इसमें करोड़ों रुपए की मनीलांड्रिंग का आरोप है।
ईडी पहले ही 64 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति जब्त कर चुकी है। उम्मीद है कि इस मामले में अदालत की सुनवाई के बाद सच सामने आएगा। प्रकरण इस प्रकार है। एजेएल को कर्ज मुक्त करने के लिए विशेषज्ञों की सलाह से कंपनी कानून की धारा 8 के अनुसार ‘यंग इंडियन’ नामक गैरव्यावसायिक धर्मादाय कंपनी बनाई गई। 90 करोड़ रुपए के कर्ज को 9 समान हिस्सों में बांटकर एजेएल को ऋण मुक्त किया गया। यंग इंडियन ने 50 लाख रुपए के बदले एजेएल का व्यवस्थापन अपने हाथ में लिया। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा, स्व। मोतीलाल वोरा व ऑस्कर फर्नांडीज यंग इंडियन के डायरेक्टर थे।
कांग्रेस का कहना है कि एजेएल के व्यवस्थापन के लिए बनी यंग इंडियन केवल कंपनी कानून की धारा 8 से बंधी हुई है लेकिन एजेएल की जिम्मेदारी लेनेवाले यंग इंडियन के व्यवहार पर शक जाहिर करते हुए बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 से यह मुद्दा उठाना शुरू किया। उन्होंने यह आरोप लगाते हुए मामला दायर किया कि एसोशिएटेड जर्नल्स लि। की हजारों करोड़ रुपए की संपत्ति हथियाने के लिए सोनिया गांधी, राहुल व अन्य ने साजिश रची। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद 26 जून 2014 को पटियाला हाऊस अदालत ने मजिस्ट्रेट को जांच का आदेश दिया। ईडी ने इस मामले की जांच 7 वर्ष बाद 2021 में शुरू की।
कांग्रेस की दलील है कि एजेएल से यंग इंडियन में एक रुपया भी नहीं आया तथा एजेएल की संपत्ति अपनी जगह बरकरार है। इसलिए मनी लांड्रिंग के आरोप हास्यास्पद हैं। पिछले 8 वर्षों में ईडी ने लगभग 5,300 मामले दायर किए लेकिन उसे केवल 25 मामलों में सफलता मिली। ईडी के 98 प्रतिशत मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं जिनमें दोष सिद्धि का आंकड़ा केवल 1 प्रतिशत है। मनी लांड्रिंग कानून की धारा 4, 44, 45 व 70 में आरोपियों को सजा देने की ईडी की मांग अदालत ने मान ली तो 7 वर्ष कारावास की सजा सुनाई जा सकती है। इस मामले में सोनिया व राहुल जमानत पर हैं। न्यायालय ने नए सिरे से गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं किया तो जमानत कायम रहेगी।
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एमपी-एमएलए कोर्ट ने यदि सोनिया व राहुल के खिलाफ फैसला दिया तो उनकी संसद सदस्यता जा सकती है और सजा काटने के बाद अगले 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अपात्र रहेंगे। यह मामला कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। विपक्ष का आरोप है कि राजनीतिक प्रतिशोध को भुनाने के लिए सत्तापक्ष जांच एजेंसियों का अनुचित इस्तेमाल कर रहा है। सुब्रमण्यम स्वामी ऐसे व्यक्ति हैं जो प्रधानमंत्री मोदी के भी आलोचक रहे हैं लेकिन उन्हें बीजेपी में इसलिए रखा गया है ताकि वह नेशनल हेराल्ड मामले को आगे बढ़ाते हुए सोनिया व राहुल को निशाने पर लें।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा