गणतंत्र दिवस 2025 (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: आबादी के लिहाज से विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र आ भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है जो जन-जन के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण है। 2 सदियों से अधिक की गुलामी ने राष्ट्र के जिस स्वाभिमान में बेड़यां डाल दी थीं, वह 26 जनवरी 1950 को सार्वभौम, संप्रभु गणतंत्र के रूप में सिंह के समान दहाड़ उठा। इस दिन हमने स्वतंत्रता, समानता, बंधुभाव की गारंटी देने वाला संविधान अंगीकार किया जो विश्व के बड़े लिखित संविधानों में से एक है, इसकी विशिष्टता इसके मूलाधिकार हैं।
इसके साथ ही लोकतंत्र के नीति निर्देशांक (डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ डेमोक्रेसी) हैं जिन्हें क्रमशः लागू करने का उद्देश्य संविधान निर्माताओं ने रखा था। शासन के तीनों अंगों कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के कार्य विभाजन में संतुलन एवं नियंत्रण का ध्यान रखा गया। पुराने प्रांतों की बजाय अधिकार संपन्न राज्यों की रचना कर अधिकारों का केंद्रीय सूची, राज्यों की सूची और समवर्ती सूची के रूप में वर्गीकरण किया गया। विश्व के किसी अन्य राष्ट्र में इतनी भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं की विविधता नहीं है जैसी भारत में देखी जाती है। अनेकता में एकता हमारी बहुत बड़ी विशेषता रही है।
देश के प्रचुर संसाधनों को लूटनेवाले अंग्रेजों ने जाते समय विभाजन कर दिया लेकिन आज उसी राष्ट्र ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया और जर्मनी को भी पछाड़ कर विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। भारत के लिए बाहरी और भीतरी चुनौतियां कम नहीं हैं। चीन, पाकिस्तान व बांग्लादेश की दुरभि संधि के प्रति हमें अत्यंत सतर्क रहना होगा। देश के अंतर्गत भी कुछ ऐसी अराजक ताकतें पनप रही हैं जो संविधान, कानून कुछ नहीं मानतीं। राजनीतिक विरोध तो स्वीकार्य है लेकिन राष्ट्र की एकजुटता बनाए रखना सभी का परम कर्तव्य है।
गणतंत्र दिवस राष्ट्र की गरिमा, श्रेष्ठता और महानता को समर्पित राष्ट्रीय पर्व है, अन्य पड़ोसी देशों में लोकतंत्र की जड़ें जम नहीं पाई लेकिन हमारा गणतंत्र अक्षुण्ण बना रहा। विगत वर्षों में अनुच्छेद 370 को समाप्त कर राष्ट्रवाद व गणतंत्र को और मजबूती प्रदान की गई। राष्ट्र निर्माताओं की वह पीढ़ी बहुत पहले जुदा हो गई जिसने आजादी की लड़ाई लड़ी थी। तबसे तीसरी और चौथी पीढ़ी आ गई है जिसे गणतंत्र के गौरव का भान और अभिमान होना चाहिए। आज का शक्तिशाली भारत दुनिया की किसी भी ताकत से सिर ऊंचा करके बात करता है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा