(डिजाइन फोटो)
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों का चुनाव सिर्फ 1 चरण में पूरा होनेवाला है लेकिन उम्मीदवारों के नाम कई चरणों में घोषित किए जा रहे हैं। बीजेपी ने पहली सूची में 99 प्रत्याशी घोषित किए हैं। एक साथ 100 नाम क्यों नहीं डिक्लेयर किए?’’
हमने कहा, ‘‘यह पार्टी की मर्जी है कि 5 नाम जाहिर करे या 50! आपको इससे क्या लेना-देना। बीजेपी सक्षम और सामर्थ्यवान पार्टी है। चाहे तो सारे नाम एक साथ घोषित कर सकती है लेकिन वह स्टेप बाय स्टेप नाम घोषित करेगी। पहली सूची में उसने मौजूदा विधायकों पर भरोसा जताया है।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जहां तक चरण शब्द की बात है, भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेने के बाद त्रिविक्रम के रूप में 2 चरणों में पृथ्वी और आकाश नाप कर तीसरा चरण दैत्यराज बलि के सिर पर रखकर उसे पाताल भेज दिया था। इस इलेक्शन में न जाने कौन सी पार्टी पाताल में चली जाएगी। सामान्य लोगों के पैरों को पांव कहा जाता है जबकि बड़े लोगों के पांव को चरण कहते हैं। पैरों को चरण बनाने के लिए महापुरुष बनना पड़ता है। कुछ चमचागिरी करनेवाले अपने मतलब से सामनेवाले को खुश करने के लिए आते ही कहते हैं- चरणवंदना स्वीकार हो! कुछ जानबूझकर आंख के अंधे बनकर कहते हैं- गुरूदेव, आपके चरण कहां हैं?’’
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हमने कहा, ‘‘आपका मूल प्रश्न यह है कि बीजेपी ने 99 प्रत्याशी ही क्यों घोषित किए? इसकी वजह यह है कि 9 पूर्णांक है। ग्रहों की संख्या भी 9 है। नौलखा हार का बड़ा महत्व है। कितने ही क्रिकेट खिलाड़ी 99 रन बनाने के बाद सेंचुरी बनाते समय नर्वस हो जाते हैं। बड़ी मुश्किल से एक रन निकाल पाते हैं। इसके अलावा 99 का अंक साइकोलॉजी से जुड़ा हुआ है। बाटा के जूते की कीमत में 2000 की बजाय 1999।99 रुपए कीमत बताई जाती है इसलिए लोगों को यह दाम किफायती लगता है। रेडीमेड पोशाक के दाम में भी ऐसा ही किया जाता है।’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सारी दुनिया 99 के फेर में पड़ी हुई है। किसी को 99 रुपए देकर देखो। वह उसे 100 बनाने के चक्कर में उलझ जाएगा। 99 का आंकड़ा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा