राज्यों के बीच भी नदी जल विवाद (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि भारत की नदियों से पाकिस्तान जानेवाला पानी अब देश के ही काम आएगा. सिंधु नदी का एक बूंद भी पानी पाक को न मिले, इसलिए 113 किलोमीटर लंबी नहर बनाने की केंद्र सरकार की योजना है। यह देखा जा रहा है कि क्या सिंधु नदी का पानी जम्मू-कश्मीर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे 3 राज्यों में नहर द्वारा लाया जा सकता है? प्रश्न है कि ऐसी नहरें बनाना तकनीकी दृष्टि से व्यावहारिक होगा क्या? इसके लिए भूमि अधिग्रहण कर मुआवजा भी देना होगा. इस दौरान नदी जल वितरण को लेकर जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बीच अभी से दावे-प्रतिदावे होने लगे हैं।
जैसे ही केंद्र सरकार ने सिंधू नदी का पानी भारत में उपयोग करने के लिए नहर बनाने की बात की, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने राज्य का अतिरिक्त पानी पंजाब ले जाने की योजना का कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा कि जम्मू क्षेत्र में फसलों को पानी नहीं मिल पाता. उसके हक का पानी अन्यत्र नहीं ले जाने देंगे। उमर अब्दुल्ला के इस बयान के बाद पंजाब की सारी राजनीतिक पार्टियों ने एकजुट होकर कहा कि पंजाब के किसानों को पानी मिलना ही चाहिए। इस मुद्दे पर पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के अलावा विपक्षी अकाली दल और कांग्रेस भी सहमत हैं। पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री को संदेश देते हुए कहा कि ऐसा विवाद करना अपनी संस्कृति नहीं है।
5 दशक पूर्व जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बीच जलविवाद देखा गया था जो अब फिर सामने आ गया है. यह विवाद ऐसे समय हो रहा है जबकि नहर बनी ही नहीं है, सिर्फ उसकी योजना को लेकर विचार हो रहा है. नदी जल बंटवारे को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है. कावेरी नदी के जल वितरण को लेकर तमिलनाडु व कर्नाटक में अनेक अवसरों पर हिंसक संघर्ष की नौबत आई जिसमें लोगों को जान गंवानी पड़ी और संपत्ति का भी नुकसान हुआ था. पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद अत्यंत तीव्र हो उठा है जिससे भाखडा-नांगल बांधों पर केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान तैनात करने पड़े।
कृष्णा घाटी योजना के पानी को लेकर महाराष्ट्र कर्नाटक, आंध्रप्रदेश व तेलंगाना राज्यों में विवाद जारी है जिसके मिटने की संभावना नजर नहीं आती। नर्मदा नदी के जल वितरण को लेकर महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश व राजस्थान के बीच विवाद शुरू है।अलमाटी बांध की ऊंचाई बढ़ाने को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच काफी वर्षों से तनातनी है। गोदावरी, महानदी, सतलज-यमुना के जल वितरण को लेकर भी राज्यों का आपस में विवाद है। यह मुद्दा जनभावना और वोटों से भी जुड़ जाता है इसलिए राजनीतिक दल सतर्क रवैया अपनाते हैं, मोदी सरकार भी किसी जल विवाद को 11 वर्षों में हल नहीं कर पाई।अब सिंधु नदी के जल बंटवारे को लेकर अभी से विवाद शुरू हो गया है. इसे देखते हुए सभी संबंधित राज्यों को विश्वास में लिया जाना आवश्यक है।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा