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PM Narendra Modi: दुनिया की राजनीति जबरदस्त बदलाव के दौर से गुजर रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना भारत के दूसरे प्रधानमंत्रियों से की जा रही है। कहीं उनकी तुलना इंदिरा गांधी से हो रही है तो कहीं उन प्रधानमंत्रियों से जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में सर्वाधिक दिन शासन चलाया।
एक तुलना इस बात से भी हो रही है कि उनके शासन के 11 वर्ष और दूसरे प्रधानमंत्रियों के शासन के 11 वर्ष कैसे रहे? देश को क्या मिला? कांग्रेस का आरोप है कि मोदी-शाह पर नेहरू फोबिया छाया हुआ है। कहा जा रहा है कि भारत को सर्वाधिक नुकसान पाकिस्तान से हो रहा है और हम कई बार सर्जिकल स्ट्राइक या ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी पीओके को नहीं ले पा रहे हैं।
जबकि कहा जा रहा है इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को तोड़कर बांग्लादेश बनवा दिया था। आज भारत को जितना विदेशी ताकतों खासकर पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन से जूझना पड़ रहा है, उतना ही कूटनीतिक तरीके से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन बयानों तथा धमकियों से भी लड़ना पड़ रहा है, जो भारत के हितों के खिलाफ हैं।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर किए जाने वाले प्रश्नों में यही प्राथमिकता में है कि भारत को कितना नुकसान हुआ, ट्रंप ने ऑपरेशन नहीं रुकवाया तो प्रधानमंत्री बयान क्यों नहीं दे रहे? कोई विपक्षी इस बात के लिए ट्रंप की बुराई नहीं कर रहा कि वह पाकिस्तान के साथ डिनर कूटनीति से भारत को दबाव में लेना चाहता है? इस बात को क्यों नहीं पूछा जाता कि जब हम पाकिस्तान को गैर भाजपा शासन में शिकस्त दे चुके थे, तो पीओके क्यों नहीं लिया?
मोदी के प्रधानमंत्री काल के 11 वर्ष की इंदिरा के शासन से तुलना करते समय कांग्रेस भूल जाती है कि इमरजेंसी ने देश को हलाकान करके रख दिया था। इसके विपरीत अब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां के हिंदू अब देश को एक कानून के तहत देख रहे हैं। धारा 370 कश्मीर में हिंदुओं के लिए अघोषित इमरजेंसी ही थी।
ऑपरेशन ब्लू स्टार ने देश को क्या दिया? आज भी खालिस्तानी आतंक कनाडा या दूसरे देशों में भारतीय नागरिकों और भारत को हर संभव नुकसान पहुंचा रहा है। इसके विपरीत देखा जाए तो मोदी शासन में जिस तरह से छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना में नक्सलियों का सफाया हो रहा है, उससे वहां पर जनता खुद को सुरक्षित महसूस कर रही है।
अनुमान है कि अब तक कम से कम 10 हजार नक्सलियों ने या तो आम समाज की धारा में खुद को वापस किया है। मोदी सरकार पर सबसे बड़ा आरोप इस बात पर है कि उनके शासन में निजीकरण हो रहा है। माना जाता है कि देश की महत्वपूर्ण सरकारी कंपनियों को निजी क्षेत्र में दिया जा रहा है।
इंदिरा गांधी ने जब देश के बैंकों को सरकारीकरण किया था, तो यह सोच थी कि इससे जनता को लाभ होगा पर हुआ क्या? आज एसबीआई से लेकर दूसरे सभी बैंकों की स्थिति क्या है? सरकारी बैंकों के घोटाले रोज ही अखबारों की सुर्खियां बन रहे हैं। आज निजी क्षेत्र में सरकारी क्षेत्र के मुकाबले अधिक रोजगार मिल रहे हैं।
मोदी और इंदिरा-नेहरू की तुलना को देखें तो मोदी को आरंभ से ही संघर्षों से जूझकर सफलता मिली है। मोदी के परिवार का सत्ता से कोई वास्ता नजर नहीं आता, जबकि इंदिरा गांधी या उनके बाद आज भी देश में कांग्रेस पर गांधी परिवार की पकड़ कतनी है, यह बताने की जरूरत नहीं है।
मोदी की नीतियों को उद्योग जगत का समर्थन इस बात का द्योतक है कि उनकी नीतियां इंदिरा-नेहरू या दूसरे प्रधानमंत्रियों की नीतियों से बेहतर बाजार अनुकूल और उदारवादी हैं। शहरीकरण और विकास के लिए जिस आधारभूत ढांचे की जरूरत थी, वह स्पष्ट है। कश्मीर में वंदे भारत रेल की सफलता इसका एक उदाहरण है।
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इसे मोदी की तुलनात्मक बेहतर योजना ही कहा जाएगा कि जहां पर जाने के लिए पर्यटक सोचते थे, वहां पर अब पर्यटकों की संख्या इतनी हो चुकी है कि इसे कंट्रोल करने के लिए उत्तराखंड सरकार को कहना पड़ रहा है कि अब तीर्थस्थलों पर भक्तों की संख्या सीमित करने पर विचार करना पड़ेगा।
लेख-मनोज वार्ष्णेय के द्वारा