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विकिरण प्रौद्योगिकी से भारत की खाद्य सुरक्षा में बदलाव

अपनी स्वतंत्रता के 78 वें वर्ष में भारत जैसे-जैसे विकसित भारत के विजन की ओर बढ़ रहा है, खाद्य सुरक्षा और संरक्षा को आगे बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें उपभोक्ताओं तक पहुंचने वाले भोजन का संदूषित पदार्थों से सुरक्षित होना तथा भोजन की हानि एवं बर्बादी को कम से कम किया जाना शामिल है, ताकि सभी को पर्याप्त, पौष्टिक भोजन की उपलब्धता की गारंटी मिल सके।

  • By मृणाल पाठक
Updated On: Sep 12, 2024 | 02:51 PM

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अपनी स्वतंत्रता के 78 वें वर्ष में भारत जैसे-जैसे विकसित भारत के विजन की ओर बढ़ रहा है, खाद्य सुरक्षा और संरक्षा को आगे बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें उपभोक्ताओं तक पहुंचने वाले भोजन का संदूषित पदार्थों से सुरक्षित होना तथा भोजन की हानि एवं बर्बादी को कम से कम किया जाना शामिल है, ताकि सभी को पर्याप्त, पौष्टिक भोजन की उपलब्धता की गारंटी मिल सके। खाद्य पदार्थों, खासकर फलों और सब्जियों की हानि और बर्बादी को कम करना बहुत जरूरी है।

इससे किसानों के लिए लाभकारी दाम सुनिश्चित करने में भी मदद मिलती है। खाद्य सुरक्षा की समस्याओं से निपटने के लिए 2024-25 के केंद्रीय बजट में एमएसएमई क्षेत्र में 50 बहु-उत्पाद खाद्य विकिरण इकाइयों की स्थापना के लिए धनराशि आवंटित की गई है। यह खाद्य सुरक्षा और संरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है क्योंकि खाद्य विकिरण प्रौद्योगिकी कृषि खाद्य उत्पादों की शेल्फ लाइफ और सुरक्षा में इजाफा करती है।

खाद्य विकिरण में खाद्य पदार्थों को, चाहे वे पैक किए गए हों या बल्क में, सावधानीपूर्वक नियंत्रित वातावरण में आयनकारी विकिरण के संपर्क में लाना शामिल है। यह पद्धति हानिकारक सूक्ष्मजीवों को नष्ट करके खाद्य जनित बीमारियों के जोखिम को प्रभावी ढंग से कम करती है। यह समय से पहले पकने, फुटाव या अंकुरण में देरी करके खाद्य हानि को कम करते हुए खाद्य पदार्थों को खराब होने से भी बचाती है।

यह खाद्य उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में रासायनिक परिरक्षकों की आवश्यकता को भी कम करती है, जिससे अधिक टिकाऊ खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में योगदान मिलता है। खाना पकाने की तरह ही खाद्य विकिरण भी सभी पहलुओं में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। इसे खासकर अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे उन्नत खाद्य सुरक्षा मानकों वाले देशों में व्यापक रूप से अपनाया गया है, जहां इसका घरेलू और निर्यात दोनों ही तरह के बाजारों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।

यह भी पढ़ें- राहुल गांधी का अमेरिकी दौरा, विदेश में क्यों उठाए आंतरिक विवाद

इसके प्रभाव का उल्लेखनीय उदाहरण 2012 का समझौता है, जिसने 20 साल के प्रतिबंध के बाद भारतीय आमों को अमेरिका को निर्यात करने की अनुमति दी। यह सफलता भारत द्वारा कीटों के खतरे को खत्म या काफी हद तक कम करने के लिए निर्यात से पहले अपने आमों को विकिरणित करने पर सहमत होने से संभव हुई।

देश में 34 सुविधाएं स्थापित

भारत ने भी समूचे देश में 34 विकिरण प्रसंस्करण सुविधाएं स्थापित करते हुए उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। इनमें से 16 सुविधाओं को एमओएफपीआई की सहायता प्राप्त होने सहित इस बुनियादी ढांचे को विकसित करने में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1 एमसीआई कोबाल्ट 60 सोर्स युक्त एक विकिरण सुविधा स्थापित करने के लिए भूमि और अतिरिक्त बुनियादी ढांचे की लागतों के बिना लगभग 25 से 30 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होती है।

इसकी कमीशनिंग प्रक्रिया में प्रस्ताव की जांच, अनुमोदन, साइट क्लीयरेंस, संयंत्र का निर्माण, स्रोत स्थापना, सुरक्षा आकलन और मार्गदर्शन, पर्यवेक्षण, कमीशनिंग और विकिरण स्रोतों के सामयिक प्रतिस्थापन सहित निरंतर रखरखाव जैसे कई महत्वपूर्ण चरण शामिल हैं। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड जैसे प्रमुख संगठन इस प्रक्रिया का निरीक्षण करते हैं।

निवेशकों के लिए अवसर

इन सुविधाओं से संबंधित शुरुआती उच्च पूंजीगत लागतों के बावजूद, यहां निवेशकों के लिए पर्याप्त अवसर मौजूद हैं। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह के बाजारों में सुरक्षित, लंबे समय तक चलने वाले खाद्य उत्पादों की बढ़ती मांग निवेश के लाभप्रद अवसर प्रस्तुत करती है। खाद्य सुरक्षा संवर्धित करने और शेल्फ लाइफ बढ़ाने की क्षमता खाद्य विकिरण सुविधाओं को खाद्य अपशिष्ट में कमी लाने और कड़े निर्यात मानकों को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण बनाती है।

वर्ष 2025-26 तक भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के 535 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी के साथ, विकिरण सुविधाएं निवेश के आशाजनक अवसर प्रस्तुत करती हैं। केंद्रीय बजट 2024-25 में घोषणा के बाद, एमओएफपीआई ने एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्धन अवसंरचना (कोल्ड चेन योजना) के तहत बहुउत्पाद खाद्य विकिरण इकाइयों की स्थापना के लिए उद्यमियों से अभिरुचि की अभिव्यक्ति आमंत्रित की हैं।

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खाद्य सुरक्षा बढ़ाने और जल्दी खराब होने वाले उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में खाद्य विकिरण की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, भारतीय खाद्य आपूर्ति श्रृंखला और कृषि खाद्य निर्यात क्षेत्र की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए हमारे बुनियादी ढांचे का विस्तार करने की सख्त जरूरत है। हमारा निवेशकों और उद्यमियों से आग्रह है कि वे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता का उपयोग करके अतिरिक्त विकिरण सुविधाएं स्थापित करने के इस अवसर का लाभ उठाएं।

विकिरण सुविधाओं में निवेश करने से खाद्य सुरक्षा बढ़ेगी, बर्बादी में कमी आएगी और समूचे भारत में खाद्य सुरक्षा में सुधार होगा, साथ ही हमारे किसानों के लिए बेहतर दाम भी सुनिश्चित होंगे। भारत के खाद्य उद्योग में पूरी तरह बदलाव लाने के लिए हमारे साथ जुड़िए। आपका निवेश टिकाऊ कृषि के भविष्य को गति देगा और उन्नतिशील अर्थव्यवस्था में योगदान देगा।

– चिराग पासवान, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री

Chirag paswan talked about transforming india food security with radiation technology

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Published On: Sep 12, 2024 | 02:51 PM

Topics:  

  • Chirag Paswan

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