नितिन नबीन और चिराग पासवान। इमेज-सोशल मीडिया
Rajya Sabha Bihar Seat: बिहार से राज्यसभा की पांच सीटें खाली होने वाली हैं। इसको लेकर सियासी गलियारों में हलचल बढ़ चुकी है। कई उम्मीदवार सीट के लिए चक्कर लगाने लगे हैं। दरअसल, राज्यसभा में बिहार के पांच सदस्य अगले वर्ष कार्यकाल पूरा कर लेंगे। इनमें राजद के प्रेमचंद गुप्ता और एडी सिंह हैं। जदयू के हरिवंश नारायण, रामनाथ ठाकुर और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा शामिल हैं।
वैसे, राज्यसभा का गणित सटीक है। बिहार विधानसभा में एनडीए के 202 विधायक हैं। 41 अन्य दलों के पास हैं। राज्यसभा में एक सदस्य के चुनाव के लिए 48 विधायकों की जरूरत होती है। ऐसे में 4 सीटों पर 192 विधायकों की संख्या तय कर देती है कि एनडीए अपने उम्मीदवार को भेजने में सक्षम है। पांचवीं सीट के लिए अन्य दलों के सहयोग की दरकार रहेगी। वरना सियासी पेंच जटिल बन सकता है। जमीनी रणनीति के अनुसार, जदयू अपने वरिष्ठ नेताओं हरिवंश नारायण और रामनाथ ठाकुर को रिपीट करने का मन बना ली है। हरिवंश राज्यसभा के सभापति हैं। रामनाथ केंद्रीय मंत्रिमंडल में हैं। ऐसे में उनका फिर से चयन राजनीतिक रूप से सुरक्षित विकल्प है।
भाजपा द्वारा 2 सीटों पर उम्मीदवार तय माने जा रहे हैं। इनमें कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन का नाम पहले से फाइनल है। नितिन नबीन ने हाल में बिहार कैबिनेट के मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा दिया है। चौथी और पांचवीं सीट को लेकर बड़े पेंच हैं। 2025 में हुए विधानसभा समझौते के अनुसार, लोजपा रामविलास को एक सीट मिलेगी। इसे चिराग पासवान की मां रीना पासवान को दिया जाएगा। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा को दूसरी सीट दोबारा भेजा जाएगा। मगर, चौथी और पांचवीं सीट के लिए जिसे भी उम्मीदवार चाहिए, उसे वोटों का जुगाड़ करना पड़ेगा। राजनीतिक गठजोड़ों की बड़ी रणनीति अपनानी पड़ेगी।
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राजनीतिक जानकार बताते हैं कि नए वर्ष में बिहार की ये 5 राज्यसभा की सीटें केवल नामों का खेल नहीं, बल्कि सत्ता समीकरण, गठबंधन राजनीति और विधायकों की ताकत का असली परीक्षा मैदान साबित होंगी। एक ओर एनडीए को अपनी संख्या बल का लाभ है, दूसरी ओर महागठबंधन को रणनीतिक चालें चलकर ही सीटें हासिल करनी होंगी।