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निशानेबाज: चीफ जस्टिस ने बात समझाई अपना लोकतंत्र है चारपाई!

Democracy Charpai Analogy: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने लोकतंत्र या डेमोक्रेसी की बहुत अच्छी स्वदेशी व्याख्या की है। उन्होंने इसे चारपाई के समान बताया। यह टिकाऊ पाए और लचीली होती है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Dec 02, 2025 | 11:46 AM

लोकतंत्र है चारपाई (सौ. डिजाइन फोटो)

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नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने लोकतंत्र या डेमोक्रेसी की बहुत अच्छी स्वदेशी व्याख्या की है। उन्होंने इसे चारपाई के समान बताया जिसमें मजबूत लकड़ी का फ्रेम या चौखट, टिकाऊ पाए और लचीली लेकिन मजबूत रस्सियों का ढांचा रहता है। यह ऐसा ढांचा या स्ट्रक्चर है जो कड़ा भी है और लचीला भी! इस व्याख्या पर आप अपनी राय बताइए। ’

हमने कहा, ‘चारपाई या खटिया आराम करने के लिए होती है। लोकतंत्र जीवंत और क्रियाशील तभी बनेगा जब वह चारपाई छोड़कर उठ जाए। चारपाई या खटिया रात में उपयोगी है। सुबह उठते ही इसे खड़ा कर देना चाहिए। चुनाव में जब कोई पार्टी बुरी तरह हार जाती है तो कहते हैं कि जनता ने उसकी खटिया खड़ी बिस्तरा गोल कर दिया। इन दिनों ठंड का मौसम चल रहा है। गोविंदा की एक फिल्म का गाना था- सरकाय लेव खटिया जाड़ा लगे, जाड़े में बलमा प्यारा लगे!’

पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, आप चीफ जस्टिस के कथन का मर्म नहीं समझे, इसीलिए ऐसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हैं। चारपाई के समान लोकतंत्र के 4 पाए होते हैं। यह हैं- कार्यपालिका, व्यवस्थापिका, न्यायपालिका के अलावा स्वतंत्र व निष्पक्ष प्रेस। चीफ जस्टिस ने चारपाई में बुनी जानेवाली रस्सी का उल्लेख किया। राजनीति में पार्टियों के बीच रस्साखींच की प्रतियोगिता चलती रहती है जिसे अंग्रेजी में टग ऑफ वार कहते हैं। बड़े ही सारतत्व के साथ चीफ जस्टिस ने चारपाई का उदाहरण देकर मजबूत ढांचे के बारे में बताया है। हमारे संविधान में चाहे जितने भी संशोधन कर लिए जाएं लेकिन उसका मूल ढांचा अपरिवर्तित रहेगा।

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यह ढांचा स्वतंत्रता, समानता व भ्रातृभाव अर्थात लिबर्टी, इक्वलिटी और फ्रैटर्निटी से बना है। यह बहुत मजबूत फ्रेमवर्क है। केशवानंद भारती केस से इस मूलभूत ढांचे या बेसिक स्ट्रक्चर की पुष्टि हुई थी। इससे आदर्शवाद और शक्ति के बीच संतुलन परिभाषित हुआ था। अब बताइए कि आप चारपाई का अर्थ ठीक से समझे या नहीं?’ हमने कहा, ‘जनता को चारपाई की उपयोगिता अच्छी तरह से मालूम है। मोदी की चाय पे चर्चा का जवाब देने के लिए कांग्रेस ने ‘खाट पे चर्चा’ शुरू की थी। जहां भी राहुल गांधी की सभा होती थी वहां सैकड़ों खटिया बिछा दी जाती थीं। सभा खत्म होते ही पब्लिक यह खटिया उठाकर सीधे अपने घर ले जाती थी। ’

लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा

Chief justice democracy charpai comment

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Published On: Dec 02, 2025 | 11:46 AM

Topics:  

  • CJI Surya Kant
  • Indian Democracy

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