छगन भुजबल
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, जिसमें दमखम और भुजा में बल हो, उसे कोई आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता। आखिर छगन भुजबल जैसे अनुभवी नेता फिर से मंत्री बन ही गए। राजनीति की एबीसी वाला अल्फाबेट (वर्णमाला) कहता है कि ओबीसी को साथ लेकर चलो। भुजबल ओबीसी के कद्दावर नेता हैं इसलिए इस वर्ग का वोट समीकरण साधने के लिए उन्हें मिनिस्टर बनाना जरूरी समझा गया।’
हमने कहा, ‘कहते हैं कि वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता। जिस वक्त 2024 में महायुति सरकार बनी थी तब राकांपा नेता व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने भुजबल की सीनियारिटी के बावजूद उन्हें मंत्री बनाने से इनकार कर दिया था। तब से भुजबल के मन में नाराजगी का गुबार था। अब पद मिलने से मनोमालिन्य मिट गया। शिकवा-शिकायत दूर हो गई। भुजबल ने अजीत का साथ नहीं छोड़ा था। उनकी वफादारी रंग लाई। भुजबल कह सकते हैं- तू प्यार करे या ठुकराए, हम तो हैं तेरे दीवानों में!’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, भुजबल को मंत्री बनाए जाने से मराठा नेता मनोज जरांगे भड़क उठे। उन्होंने कहा कि यह अजीत पवार की गलती है जिसका गंभीर नतीजा उन्हें भुगतना पड़ेगा। मराठा समाज इसका बदला लेगा। सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने तीखे शब्दों में कहा कि एक भ्रष्ट मंत्री धनंजय मुंडे की जगह दूसरे भ्रष्ट मंत्री आ गए हैं। एक को हटाया, दूसरे को लाया।’
हमने कहा, ‘सार्वजनिक जीवन में ऐसी बातें सुननी और सहनी पड़ती हैं। भुजबल को 52 वर्षों का राजनीतिक अनुभव है। 1973 में वह शिवसेना कार्पोरेटर चुने गए थे। 1985 और फिर 1991 में वह मुंबई के महापौर रहे। 1991 में भुजबल शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में आ गए। तब शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने उन्हें ‘लखोबा’ कहा था।’
हमने कहा, ‘1999 में भुजबल ने अपने नेता शरद पवार के साथ कांग्रेस छोड़ दी और एनसीपी के संस्थापक सदस्य बने। 2023 में शरद पवार का साथ छोड़कर अजीत पवार के गुट में आ गए। भुजबल अपने परिवार की फिक्र करते हैं। उनका बेटा पंकज 2 बार नाशिक के नांदगांव क्षेत्र से विधायक चुना गया और 2024 में विधान परिषद में नियुक्त किया गया। छगन भुजबल का भतीजा समीर नाशिक का पूर्व सांसद है।’
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पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, आपने तेलगी स्टैंप घोटाले और भुजबल के जेल जाने का उल्लेख तो किया ही नहीं। आप शायद यह कहेंगे कि महात्मा गांधी और नेहरू भी तो जेल गए थे। मथुरा में कंस की जेल में कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था।’ हमने कहा, ‘व्यक्ति का अतीत नहीं, वर्तमान देखिए। अंग्रेजी में भुजबल का अर्थ आर्मस्ट्रांग होता है। चंद्रमा पर पहला कदम रखनेवाला नील आर्मस्ट्रांग था। भुजबल के मंत्री बनने से महायुति सशक्त होगी।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा